कलकत्ता हाइकोर्ट ने दिया आदेश कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आखिर राज्य सरकार इसे लेकर कोई प्रचार क्यों नहीं कर रही. लोगों को क्यों नहीं सूचित किया जा रहा है कि ओबीसी को लेकर नये सिरे से सर्वेक्षण किया जा रहा है. गौरतलब है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2010 के बाद राज्य द्वारा तैयार की गयी ओबीसी सूची को खारिज कर दिया. न्यायालय ने नये सिरे से सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है. राज्य की नई सर्वेक्षण पद्धति भी उच्च न्यायालय के सवालों के घेरे में आ गई है. पता चलता है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने उन 113 ओबीसी समुदायों के आवेदन पुनः स्वीकार कर लिये हैं, जिन्हें उच्च न्यायालय ने सूची से बाहर कर दिया था. मंगलवार को को मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ पर हुई. अदालत का प्रश्न यह है कि आयोग किस आधार पर उन समुदायों के आवेदन स्वीकार कर रहा है, जिन्हें अस्वीकार कर दिया गया है? आयोग ने स्वयं कोई अधिसूचना क्यों नहीं जारी की? इसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि आयोग तुरंत विभिन्न समाचार पत्रों में नोटिस जारी करे. बीडीओ को भी निर्देश दिया जाना चाहिए. हाइकोर्ट ने अपने मामले में ””””राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग”””” को भी शामिल किया है. मंगलवार को सुनवाई में राज्य के आयोग ने शुरू में अपने नये सर्वेक्षण में त्रुटियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में उसने अदालत के बयान को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया. साथ ही उन्होंने अपील की कि चूंकि प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, इसलिए अब उच्च न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उनकी मांगों को स्वीकार करते हुए अदालत ने फिलहाल उनके काम में हस्तक्षेप न करने का फैसला किया. इस मामले की अगली सुनवाई 19 जून को होगी.
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