कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्र व पश्चिम बंगाल सरकार को गृह मंत्रालय के पत्र के आधार पर बांग्लादेश के कथित अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के संबंध में उनके द्वारा उठाये गये कदमों के विवरण के साथ हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि जिस स्थान से इन कथित अवैध प्रवासियों (बंदियों) को वापस भेजा गया था, उसका खुलासा नहीं किया गया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने प्रशासन को निर्देश दिया कि वे उन स्थानों के बारे में बतायें, जहां से बंदियों को वापस भेजा गया . उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम के कुछ बाशिंदों को बांग्लादेश का नागरिक होने के आधार पर वहां भेज दिया गया. ये लोग दिल्ली में काम करने वाले एक दिहाड़ी मजदूर के परिवार के सदस्य हैं. इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को 19 सितंबर तक याचिकाकर्ता के दावों के विरोध में अलग-अलग हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता को 22 सितंबर तक इस तरह के विरोध के जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले की फिर 23 सितंबर को सुनवाई होगी. वहीं, भोदू शेख नामक शख्स ने अपनी याचिका में दावा किया था कि बीरभूम के मुराराई निवासी सोनाली और उसके पांच वर्षीय बेटे को दिल्ली में हिरासत में लेकर बांग्लादेश भेज दिया गया था. आमिर खान नामक एक शख्स ने भी एक अन्य याचिका में इसी तरह का दावा किया था. आमिर ने दूसरी याचिका में कहा है कि उसी इलाके से उसकी बहन स्वीटी बीबी और उसके दो बच्चों को पड़ोसी देश भेज दिया गया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि जिस स्थान से बंदियों को वापस भेजा गया था, उसका खुलासा केंद्र द्वारा नहीं किया गया है. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतोब्रत कुमार मित्रा की इस पीठ ने कहा कि इस तरह के विवरण के अभाव में, क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को इस स्तर पर प्राथमिकता नहीं दी जा सकती और निर्णय नहीं किया जा सकता है.
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