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26.72 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी में ईडी ने दर्ज करायी शिकायत

एक्शन. बांग्लादेश निर्यात घोटाले में इडी ने की बड़ी कार्रवाई

कोलकाता. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की कोलकाता जोनल इकाई ने बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में निर्णायक कदम उठाते हुए यहां विशेष पीएमएलए अदालत में प्रॉसेक्यूशन शिकायत दाखिल कर दी है. यह शिकायत प्रसेनजीत दास, जो पीके इंटरप्राइजेज का प्रोपराइटर है, चंदन सरकार, लालटू साहा और तीन अन्य व्यक्तियों के खिलाफ दायर की गयी है. यह पूरा मामला दिवंगत पूर्णेंदु दास की ओर से रचे गये आर्थिक अपराध से जुड़ा है, जो एमएसकेपीएस इटरप्राइज के मालिक था और अपने बेटे प्रसेनजीत दास व सहयोगियों के साथ मिलकर बैंक को भारी नुकसान पहुंचाने के आरोप झेल रहे थे. ईडी ने यह जांच सीबीआइ, बैंकिंग सिक्योरिटीज एंड फ्रॉड सेल, कोलकाता द्वारा दर्ज एफआइआर के आधार पर शुरू की थी. एफआइआर में भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाये गये थे. जांच में सामने आया कि दिवंगत पूर्णेंदु दास ने अपनी फर्म एमएसकेपीएस इंटरप्राइज के नाम पर पूर्ववर्ती इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) से प्याज के बांग्लादेश निर्यात के नाम पर आठ करोड़ रुपये का पैकिंग क्रेडिट और 25 करोड़ रुपये की फॉरेन बिल नेगोशियेशन सुविधा हासिल की थी. बाद में फर्जी निर्यात बिल जमा कर बैंक को कुल 26.72 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया. ईडी की जांच में यह भी पता चला कि बांग्लादेश के विभिन्न बैंकों में खोले गये लेटर ऑफ क्रेडिट के तहत एमएसकेपीएस इटरप्राइज के लिए 25 करोड़ रुपये के साइट बिल इलाहाबाद बैंक द्वारा नेगोशियेट किये गये थे. लेकिन जब बैंक ने भुगतान के लिए संबंधित बैंकों से संपर्क किया, तो बांग्लादेश के बैंकों ने यह कहते हुए भुगतान से इनकार कर दिया कि उन्हें कोई माल प्राप्त नहीं हुआ. जांच में यह भी उजागर हुआ कि पूर्णेंदु दास ने ऋण की राशि अपने बेटे की फर्म एमएसपीके. इंटरप्राइज और अपने व्यक्तिगत खातों में ट्रांसफर कर दी थी. इस तरह बैंक से प्राप्त धन की सिस्टमैटिक तरीके से हेराफेरी की गयी. साथ ही उन्होंने प्याज सप्लायर्स के नाम पर 70 बेयरर चेक जारी किये और अपनी फर्म के कर्मचारियों के माध्यम से इन चेकों से भारी नकद निकासी करवायी. मामले में ईडी इससे पहले भी कार्रवाई कर चुकी है. एजेंसी ने पांच अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 34.42 लाख रुपये है. ईडी की टीम अब भी मामले की गहराई से जांच कर रही है, ताकि धन के अंतिम उपयोग, सहयोगियों की भूमिका और पूरे फंड ट्रेल की विस्तृत पड़ताल की जा सके.

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