20.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

50 हजार करोड़ का दुर्गोत्सव इस बार सुस्त

कोलकाता में विरोध-प्रदर्शन और प्रायोजन कटौती के कारण दुर्गा पूजा समारोह के उत्साह में आयी कमी

नेशनल कंटेंट सेल

भव्य दुर्गा पूजा को लेकर दुनियाभर में प्रसिद्ध पश्चिम बंगाल का दुर्गा पूजा इस वर्ष सुस्त नजर आ रहा है. कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के विरोध में चल रहे प्रदर्शन से शहर के दुर्गा पूजा समारोहों के उत्साह में कमी आ गयी है. इससे पश्चिम बंगाल की 50,000 करोड़ रुपये की दुर्गा पूजा अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है. फंडिंग में गिरावट आ रही है.

कोलकाता में सामुदायिक पूजा आयोजकों का प्रतिनिधित्व करने वाले फोरम फॉर दुर्गोत्सव ने बताया कि शहर में पूजा समितियों को इस समय तक केवल 40-45 प्रतिशत ही चंदा प्राप्त हुआ है, जबकि इस समय तक आमतौर पर 70-80 प्रतिशत तक चंदा मिल जाता था. कॉरपोरेट स्पॉन्सरशिप में भी कमी आयी है. पारंपरिक रूप से पूजा को फंडिंग करने वाली कंपनियां प्रायोजक बने में संकोच कर रही हैं. उन्हें डर है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई घटना के बाद लोगों में शोक और आक्रोश के बीच हाई-प्रोफाइल विज्ञापन उनकी ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सावधानी कम प्रायोजन राशि और प्रतिबद्धताओं में परिलक्षित होती है. प्रायोजन में यह कमी आयोजकों की योजना के अनुसार उत्सव की तैयारी करने की क्षमता को प्रभावित कर रही है. सोशल मीडिया ने भी इस साल त्योहारों को कम धूमधाम से मनाने की मांग को बढ़ावा दिया है. परिधान, फैशन आइटम, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स और डाइनिंग सेवाओं की मांग में गिरावट ने ब्रांडों के बीच चिंता बढ़ा दी है. यह स्थिति अक्तूबर-दिसंबर तिमाही के लिए राज्य के वित्तीय प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में आमतौर पर राष्ट्रीय त्योहारी बिक्री का 15-20 प्रतिशत हिस्सा होता है.

जून-जुलाई में ही तय हो गया था बजट, आयोजकों के पास अब कर्ज लेने की स्थिति

फोरम फॉर दुर्गोत्सव के महासचिव शाश्वत बसु ने बताया कि पंडाल, लाइटिंग और दुर्गा प्रतिमाओं की व्यवस्था के लिए बजट जून और जुलाई में ही तय कर ली गयी थी. लेकिन अब, हमें प्रायोजकों से वित्तीय प्रतिबद्धता नहीं मिल रही है. यह कोविड-19 वर्ष से भी बदतर है, क्योंकि तब हमने स्वेच्छा से पूजा बजट में कटौती की थी. उन्होंने कहा कि यदि हम अंतिम समय में प्रायोजन सुनिश्चित नहीं करते हैं, तो वित्तीय परिणाम अगले वर्षों तक जारी रह सकते हैं, जिससे आयोजकों को खर्चों को पूरा करने के लिए व्यक्तिगत ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel