कोलकाता.
राज्य में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए काउंसलिंग अचानक कारण बताये बगैर स्थगित कर दी गयी है. जिसके कारण राज्य में नीट यूजी उत्तीर्ण करने वाले स्टूडेंट्स भ्रम की स्थिति में हैं. ऐसे में एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स की ओर से राज्य के स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (डीएमई) को पत्र लिखा है. संगठन ने अपने पत्र में लिखा है कि काउंसलिंग को अचानक स्थगित किये जाने से प्रवेश की प्रतीक्षा कर रहे छात्र-छात्राओं के बीच भारी भ्रम, चिंता और अनिश्चितता पैदा हो गयी है. ऐसे समय में जब छात्र और उनके परिवार पहले से ही शैक्षणिक भविष्य को लेकर भारी तनाव में हैं. संगठन ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि जिन उम्मीदवारों ने वर्षों तक अथक परिश्रम किया है वे अब खुद को अनिश्चित स्थिति में पा रहे हैं. अपने पत्र के जरिये चिकित्सक संगठन ने यह लिखा है कि देश के अन्य राज्यों के विपरीत, पश्चिम बंगाल में शैक्षणिक सत्र को छोटा हो सकता है. इसका खामियाजा केवल मेडिकल स्टूडेंट्स नहीं बल्कि आम लोगों को भी भुगतना पड़ेगा. इसका सीधा असर स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी पड़ेगा. इससे शिक्षा सत्र लंबा हो जाएगा, जिससे निवर्तमान प्रशिक्षुओं और हाउस स्टाफ के कार्यकाल पूरा होने में एक लंबा अंतराल पैदा होगा. इससे जूनियर डॉक्टरों की कमी होगी. जिसके कारण अस्पताल सेवाओं पर गंभीर असर पड़ेगा. यही नहीं मेडिकल स्टूडेंट्स समय पर नीट पीजी या अन्य स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षाओं और विभिन्न नौकरी साक्षात्कारों में उपस्थित होने के लिए अयोग्य हो जायेंगे. जिससे उनके करियर की संभावनाओं को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचेगा.ऐसे में वे पश्चिम बंगाल के हजारों नीट यूजी उत्तीर्ण छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की सुरक्षा के लिए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं. वे मांग करते हैं कि राज्य में एमबीबीएस प्रवेश के लिए काउंसलिंग पारदर्शी, न्यायसंगत तरीके से तुरंत शुरू की जाये.
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