फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर करने का निर्णय कोलकाता. राज्य भर में रविवार को रामनवमी धूमधाम से मनायी गयी, वहीं शीर्ष अदालत के फैसले से नौकरी गंवाने वाले शिक्षक व गैर शिक्षाकर्मी शहीद मीनार मैदान में जुटे. सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी को नेताजी इंडोर में बैठक के लिए बुलाया है. मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए डिप्राइव टीचर्स एसोसिएशन के नेता मेहबूब मंडल ने कहा कि शीर्ष अदालत ने जो फैसला सुनाया है, उसे वे लोग नहीं मान पा रहे हैं. फैसले को लेकर रिव्यू पिटीशन दाखिल किया जायेगा. हमलोगों के साथ अन्याय हुआ है. पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ने हाइकोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश लगा दिया था, क्योंकि उन्होंने समझा था कि इसमें बहुत सारे योग्य अभ्यर्थी भी शामिल हैं. अब जो फैसला आया है, वह मौत की ओर ढकेलने जैसा है. उन्होंने कहा कि अदालत में कहा गया था कि जो अवैध है, उसे हटा दिया जाये. नियुक्ति प्रक्रिया को अदालत में बहस करने की अनुमति नहीं दी गयी. बाद में फैसला भी आ गया. मंडल ने कहा कि इस फैसले को वे लोग नहीं मान पा रहे हैं. कानून लोगों को बचाने के लिए बना है, लेकिन जो किसी का जीवन ध्वंस कर दे, उसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राजनीतिक दल व राज्य सरकार हमारी लाशों पर आंसू बहा रही है. सरकार ने नेताजी इंडोर में बातचीत के लिए बुलाया है. हमलोग उक्त बैठक में जरूर जायेंगे. आज जो हालत बनी है, उसके लिए राज्य सरकार भी कम जिम्मेदार नहीं है. भ्रष्टाचार तो यहीं से हुआ है. अब राज्य सरकार कैसे बचायेगी, वही लोग समझे. कई लोगों ने अपनी बात रखी है, जिसमें कहा गया है कि बचने का रास्ता अब भी है. सभी कह रहे हैं कि अन्याय हुआ है. मंडल ने कहा कि हम अवश्य ही रिव्यू के लिए जायेंगे. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि कोई रास्ता नहीं निकाला गया, तो विधानसभा चुनाव में किसी को चुनाव लड़ने नहीं देंगे. हमारे शव के ऊपर चुनावी लड़ाई करनी होगी. हमलोग खुद को मारने के लिए भी तैयार हैं, क्योंकि वह नौकरी चले जाने के बाद वैसे ही मर चुके हैं.
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