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कोलकाता में ब्रिटिश जमाने के ड्रेनेज चैनलों की होगी मरम्मत

कोलकाता की दशकों पुरानी जल निकासी प्रणाली, जिसका निर्माण ब्रिटिश काल में किया गया था, अब पहली बार बड़े पैमाने पर नवीनीकरण से गुजरेगी.

कोलकाता नगर निगम ने जारी किया है टेंडर

संवाददाता, कोलकाता

कोलकाता की दशकों पुरानी जल निकासी प्रणाली, जिसका निर्माण ब्रिटिश काल में किया गया था, अब पहली बार बड़े पैमाने पर नवीनीकरण से गुजरेगी. मौलाली से पामर बाजार तक फैले ईंटों से बने इस महत्वपूर्ण जल निकासी चैनल की मरम्मत के लिए कोलकाता नगर निगम ने टेंडर जारी कर दिया है. यह प्रणाली उत्तर और मध्य कोलकाता के बड़े हिस्सों की जल निकासी के लिए महत्वपूर्ण है. दुर्गा पूजा के बाद इस ड्रेनेज चैनल की मरम्मत का काम शुरू होने की उम्मीद है, जिस पर लगभग 170 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. निगम सूत्रों के अनुसार, यह 10 फुट ऊंची ईंटों से बनी जल निकासी लाइन श्यामबाजार से मौलाली तक फैली हुई है, जिसमें से एक व्यक्ति आसानी से गुजर सकता है. अंदर का हिस्सा अंडाकार है. लेनिन सारणी के साथ धर्मतला से मौलाली तक और बेकबगान से मौलाली तक भी इसी तरह की अन्य निकासी व्यवस्थाएं हैं. ये तीनों ईंटों की नालियां मौलाली में मिलती हैं, और वहां से एक विशाल नहर चैनल सीधे पामर बाजार तक जाती है.

चैनल की विशेषताएं और चुनौतियां

इन तीन लाइनों के माध्यम से उत्तर, मध्य और दक्षिण के कम से कम 55 वार्डों का सीवेज का पानी मौलाली स्थित ड्रेनेज लाइन तक पहुंचता है. अंग्रेजों के शासनकाल में मौलाली से पामर बाजार पंपिंग स्टेशन तक एक विशाल जल निकासी चैनल का निर्माण किया गया था, जिसकी लंबाई 1100 मीटर है. इसकी ऊंचाई 22 फीट से अधिक (दो मंजिला मकान से भी अधिक) और चौड़ाई 18 फीट है. इसमें 10 फीट लंबे और छह फीट चौड़े मैनहोल कवर भी हैं, जिनका उपयोग ब्रिटिश काल में नावों को नीचे उतारकर गाद निकालने के लिए किया जाता था. हालांकि, समय के साथ इसकी स्थिति खराब होती गयी.

अब इस 22 फुट ऊंचे जल निकासी चैनल में लगभग सात से आठ फुट गाद जमा हो गयी है. श्यामबाजार, धर्मतला और बेकबागान से आने वाली तीन ईंटों की जल निकासी चैनलों की मरम्मत पहले ही की जा चुकी है और उन्हें जियोपॉलीमर से ढका गया है. लेकिन मुख्य सीवरेज प्रणाली की खराब स्थिति के कारण इन नवीनीकरणों का आसपास के वार्डों पर सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा था.

आगामी कार्य योजना

कोलकाता नगर निगम ने बताया कि जल निकासी व्यवस्था की मरम्मत के लिए निविदा जारी कर दी गयी है. यह नवीनीकरण कई चरणों में किया जायेगा, क्योंकि यह सबसे कठिन और जोखिम भरा काम है. सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद गाद हटाने का काम शुरू होगा, जिसमें सात-आठ फुट की गाद हटायी जायेगी. इसके बाद मरम्मत कार्य शुरू होगा, जिसमें स्प्रे जियोपॉलीमर जैकेटिंग या लाइनिंग लगायी जायेगी. एक बार यह काम पूरा हो जाने पर मुख्य सीवर से जुड़ी तीनों लाइनें खोल दी जायेंगी. इस पूरे कार्य को पूरा होने में लगभग दो वर्ष लगेंगे.

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