कोलकाता.
पश्चिम बंगाल में नागरिकता को लेकर एक बार फिर सियासत गरम हो गयी है. पानीहाटी के 57 वर्षीय प्रदीप कर की अस्वाभाविक मौत की घटना पहले ही तूल पकड़े हुए है. उनके पास से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें लिखा था कि “मेरी मौत का जिम्मेदार एनआरसी है.” इस घटना के ठीक अगले दिन कूचबिहार के दिनहाटा में एक वृद्ध ने आत्महत्या की कोशिश की, क्योंकि वह कथित तौर इस बात से भयभीत था कि एसआइआर से वह‘बाहरी’ घोषित कर दिया जायेगा. इस घटना को लेकर तृणमूल ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है. बुधवार को तृणमूल ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर पोस्ट कर दोनों घटनाओं को भाजपा की “नफरत की राजनीति” का परिणाम बताया है. पार्टी ने आरोप लगाया कि यह ‘संस्थागत क्रूरता’ है, जहां सत्ता में बैठे लोग जनता की जिंदगी और पहचान से खिलवाड़ कर रहे हैं. तृणमूल की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल गया कि “और कितनी जानें जायेंगी, मोदी जी, तब जाकर आप नागरिकता को हथियार बनाना बंद करेंगे? कितने बंगालियों को मरना पड़ेगा ताकि आपकी राजनीतिक रणनीति पूरी हो? जिन लोगों ने कभी देश के लिए खून बहाया, उन्हें आज अपमानित, संदिग्ध और निराश किया जा रहा है, सिर्फ इसलिए क्योंकि बंगाल झुकने को तैयार नहीं है.” तृणमूल ने भाजपा नेताओं को ‘जनविरोधी जमींदार’ बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक राज्य पर हमला नहीं, बल्कि बंगाल की जनता के खिलाफ युद्ध है. बयान में कहा गया, “इस राजनीतिक अत्याचार में जो भी रक्त बहा है, वह सत्ता की अंतरात्मा पर दाग बनकर रहेगा. बंगाल न तो माफ करेगा, न भूलेगा.”डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

