कोलकाता. फर्जी दस्तावेजों के जरिये भारतीय पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा गिरफ्तार आजाद मल्लिक उर्फ आजाद हुसैन बांग्लादेशी नहीं, बल्कि पाकिस्तान का नागरिक है. यह खुलासा पहले ही हो चुका है. उसके पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम करने की भी आशंका है. इसी बीच, मंगलवार को इडी ने मल्लिक को लेकर और गंभीर आरोप लगाये है.
सूत्रों के अनुसार. मंगलवार को यहां विचारभवन स्थित विशेष अदालत में इडी ने यह भी आरोप लगाया है कि मल्लिक केवल फर्जी दस्तावेजों के जरिये भारतीय पासपोर्ट ही नहीं, बल्कि फर्जी वीजा बनाने के अवैध कार्य से जुड़ा था. उसपर अवैध तरीके से यूरोप के कुछ देशों के अलावा दुबई, मलेशिया, कंबोडिया व अन्य कुछ देश जाने के लिए वीजा बनाने की बात सामने आयी है. इतना ही नहीं, करीब दो साल में उसके बैंक खातों से 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के लेन-देन को लेकर अहम तथ्य मिले हैं. जिसकी जांच जारी है. इडी के अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या मल्लिक ने फर्जी पासपोर्ट और वीजा के जरिये किसी आतंकवादी को यूरोप भेजा था. इडी ने जांच में मल्लिक के दो वोटर कार्ड भी बरामद किये हैं.
एक वोटर पहचान पत्र नैहाटी विधानसभा क्षेत्र से है, जबकि दूसरा राजरहाट-गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से है. इस बात की जांच चल रही है कि उसने दो मतदाता पहचान पत्र क्यों रखे. यह भी जांच की जा रही है कि मतदाता पहचान पत्र बनाने में किसने मदद की. गौरतलब है कि इडी ने पिछले महीने फर्जी पासपोर्ट मामले की जांच के तहत उत्तर 24 परगना के बिराटी स्थित एक किराये के मकान से मल्लिक को गिरफ्तार किया था. पहले मल्लिक के बांग्लादेश का नागरिक होने का पता चला था, लेकिन बाद में उसके पाकिस्तानी होने की सच्चाई का पता चला. मल्लिक के घर की तलाशी के दौरान पाकिस्तानी ड्राइविंग लाइसेंस बरामद किया गया था. आजाद हुसैन के नाम का पाकिस्तानी ड्राइविंग लाइसेंस वास्तव में आजाद मल्लिक का ही था. मल्लिक के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से सीधा संबंध होने की भी आशंका है. जांच में यह भी पता चला है कि मल्लिक लगातार पाकिस्तान के कई नागरिकों से व्हाट्स एप ग्रुप के जरिये संपर्क में था. वह व्हाट्स एप कॉल के जरिये भी पाकिस्तानियों के साथ संपर्क करता था. इस संपर्क के पीछे क्या मकसद था. इसके बारे में कई सवालों को जानने की कोशिश इडी अधिकारी कर रहे हैं. मल्लिक के मोबाइल फोन के व्हाट्स एप चैट से कई महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं. साथ ही उसके मोबाइल फोन से 20 हजार से ज्यादा कॉन्टैक्ट नंबर मिले हैं. उसपर यह भी आरोप है कि उसने 500 से ज्यादा फर्जी भारतीय पहचान पत्र बनाए हैं और उनका इस्तेमाल फर्जी पासपोर्ट बनाने में किया गया हो सकता है. फर्जी दस्तावेज से पासपोर्ट बनाने वाले रैकेट के जरिये एकत्रित राशि हवाला के माध्यम से बांग्लादेश भेजी जाती थी. इन राशियों का इस्तेमाल कहीं, आतंकियों की फंडिंग के लिए किया गया था या नहीं, यह भी जांच का महत्वपूर्ण पहलु है. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को फिलहाल न्यायिक हिरासत में ही रखे जाने का निर्देश दिया है.
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