मामले की जांच के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर
संवाददाता, कोलकाताराज्य सरकार के अधीनस्थ मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (मकाऊट) के ऑडिट से राज्य सरकार के राजस्व का दुरुपयोग होने का मामला सामने आया है. 837 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मकाऊट के खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुजय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने राज्य सरकार, विश्वविद्यालय और सभी पक्षों से हलफनामा मांगा है. क्या है मामला : आरोप है कि मकाऊट में विभिन्न कार्यों के लिए बुलायी गयी निविदाओं में हेराफेरी कर करोड़ों रुपये का गबन किया गया है. इसके अलावा 150 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया भी पारदर्शी तरीके से नहीं हुई है. आरोप है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी बिना टीडीएस काटे ठेकेदारों को लाखों रुपये का भुगतान कर रहे हैं. याचिकाकर्ता का दावा है कि विश्वविद्यालय ने बिना निविदा के ही करोड़ों रुपये का काम विभिन्न कंपनियों को आवंटित किया है. संस्थान में अवैध तरीके से नियुक्ति किये जाने की घटना का ऑडिट रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है. याचिकाकर्ता ने इस मामले की सीबीआइ या ईडी के माध्यम से जांच कराने की मांग की है. इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग से भी 837 करोड़ रुपये के इस भ्रष्टाचार की जांच कराने का अनुरोध किया है.याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मकाऊट में विभिन्न मद पर किये गये खर्च पर सवाल उठाये हैं. आरोप है कि करीब 342 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं है. इस फंड को डायवर्ट किया गया है. इसके अलावा 128 करोड़ रुपये की उपयोगिता का कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया. साथ ही 96 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खरीदारी की गयी है. इसके अलावा करीब 214 करोड़ रुपये का काम पूरा किये गये बिना अग्रिम भुगतान किया गया है. ऐसा ही आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी है.
तृणमूल सरकार को देना होगा जवाब : सुकांत
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार ने एक्स पर कहा है कि मकाऊट में भारी अनियमितताओं को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी है. हाइकोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की सुनवाई हाइकोर्ट में पूजा की छुट्टियों के बाद होगी. उन्होंने कहा : जवाबदेही व न्याय की लड़ाई शुरू हो गयी है. 837 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. तृणमूल सरकार को इसका जवाब देना होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

