कोलकाता.
सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणि ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति नहीं दी. यह कार्यवाही शिक्षक व शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति घोटाले से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उनकी टिप्पणी को लेकर मांगी गयी थी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन, एनवी अंजारिया की पीठ धर्मार्थ ट्रस्ट आत्मदीप द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ममता बनर्जी के खिलाफ आपराधिक अवमानना शुरू करने की मांग की गयी. आत्मदीप के वकील ने पीठ से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने आपराधिक अवमानना शुरू करने के लिए सहमति नहीं दी थी. उन्होंने कहा : हमें याचिका वापस लेने के निर्देश मिले हैं सहमति के लिए आवेदन किया गया, लेकिन अटार्नी जनरल ने सहमति नहीं दी. इसे ध्यान में रखते हुए चीफ जस्टिस ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी. इससे पहले सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने पीठ से मामले को टालने का अनुरोध किया था, क्योंकि आपराधिक अवमानना याचिका शुरू करने की सहमति प्राप्त करने के लिए अटॉर्नी जनरल के समक्ष एक मंजूरी अनुरोध दायर किया गया था. पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश ने मौखिक रूप से राजनीतिक लड़ाइयों को कोर्ट रूम से बाहर रखने की आवश्यकता पर भी टिप्पणी की थी. यह अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के संदर्भ में थी, जो इसी साल अप्रैल में आया. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था, जिसने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा 2016 में की गयी लगभग 26,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने हाइकोर्ट के इस निष्कर्ष को बरकरार रखा था कि चयन प्रक्रिया धोखाधड़ी से दूषित थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

