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मजिस्ट्रेट के समक्ष ही दर्ज करायें कोई भी कबूलनामा

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 अब भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता का स्थान ले चुकी है. इस संहिता की धारा 183 में मजिस्ट्रेट द्वारा अपराध की जांच के दौरान कबूलनामा और बयान दर्ज करने के प्रावधान शामिल हैं. ये प्रावधान पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में थे, लेकिन अब इन प्रावधानों में कुछ सुधार और स्पष्टता लायी गयी है.

कोलकाता.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 अब भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता का स्थान ले चुकी है. इस संहिता की धारा 183 में मजिस्ट्रेट द्वारा अपराध की जांच के दौरान कबूलनामा और बयान दर्ज करने के प्रावधान शामिल हैं. ये प्रावधान पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में थे, लेकिन अब इन प्रावधानों में कुछ सुधार और स्पष्टता लायी गयी है.

इस संबंध में कलकत्ता हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर के ऑनलाइन प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि धारा 183(1) के अनुसार, किसी भी जिले में जहां अपराध की सूचना दर्ज हुई है, वहां का कोई भी मजिस्ट्रेट व्यक्ति द्वारा दिये गये कबूलनामे या बयान को दर्ज कर सकता है. चाहे उस मजिस्ट्रेट का उस मामले पर अधिकार क्षेत्र हो या न हो, वह इस बयान को जांच के दौरान या किसी भी समय, परंतु सुनवाई या जांच शुरू होने से पहले दर्ज कर सकता है. प्रावधान यह है कि कबूलनामा या बयान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग द्वारा भी दर्ज किया जा सकता है, बशर्ते कि यह बयान आरोपी के वकील की उपस्थिति में हो. यह प्रावधान पारदर्शिता बनाये रखने और आरोपी के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया है. इसके साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई पुलिस अधिकारी, जिसे मजिस्ट्रेट के अधिकार दिये गये हों, कबूलनामा दर्ज नहीं कर सकता. मैजिस्ट्रेट केवल तभी कबूलनामा दर्ज करेगा, जब वह सुनिश्चित हो जाये कि वह कबूलनामा स्वेच्छा से किया जा रहा है. अगर कोई शख्स कबूलनामा दर्ज होने से पहले यह कहता है कि वह कबूलनामा नहीं करना चाहता, तो मजिस्ट्रेट उसे पुलिस हिरासत में भेजने की अनुमति नहीं दे सकता. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति को जबरन कबूलनामा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सके.

नैहाटी से राजाराम सिंह का सवाल : घर मेरे नाम पर है और मेरे तीन बेटे हैं. हैं. दो बेटे ख्याल रखते हैं, लेकिन एक बेटा नहीं रखता. इस कारण मैं उससे घर खाली कराना चाहता हूं. इसका क्या उपाय है?

जवाब : अगर घर आपकी खुद की अर्जित संपत्ति से खरीदी गयी है, तो उस पर पूर्ण रूप से आपका अधिकार है. वरिष्ठ नागरिक को अधिकार है कि अगर बेटा इच्छा के विरुद्ध कार्य करता है, तो आप उसे खुद की अर्जित संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं. इसके लिए आप एसडीओ से शिकायत करें, एसडीओ के पास इसका अधिकार प्राप्त है.

हावड़ा से मुकेश चाैधरी का सवाल : मेरे दादाजी के नाम पर जमीन थी, लेकिन उनका निधन हो गया है. हम सभी भाई जमीन का बंटवारा करना चाहते हैं. इसका क्या उपाय है?

जवाब : जमीन के बंटवारे के लिए सभी पक्ष मिलकर सिविल कोर्ट में अर्जी दाखिल करें. इसके माध्यम से ही जमीन का बंटवारा हो पायेगा.

खड़दह से श्रेयांस जायसवाल का सवाल : मेरा जिले में ही कल्याणी एक्सप्रेस वे के पास जमीन है, जिसके कागजात मेरे पास हैं. बावजूद एक व्यक्ति द्वारा जमीन पर कब्जा कर घर बनाया जा रहा है, ऐसे में क्या किया जा सकता है?

जवाब : अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट से विपक्षी पक्ष को नोटिस भेजने की अर्जी दाखिल करें और निर्माण प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए अदालत के समक्ष आवेदन करें. अदालत द्वारा निर्माण प्रक्रिया पर रोक लगायी जा सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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