कोलकाता.
दुर्गापुर में एक मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की कथित घटना के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच अपराजिता विधेयक के भविष्य को लेकर जुबानी जंग सोमवार को एक बार फिर शुरू हो गयी. भाजपा ने दुर्गापुर सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर ममता सरकार पर राज्य में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह से विफल रहने का आरोप लगाया. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने पलटवार करते हुए दावा किया कि केंद्र सरकार अपराजिता विधेयक को लटकाकर इसे कानून की शक्ल लेने से रोक रही है. तृणमूल नेता अरूप चक्रवर्ती ने कहा कि हमारी सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया. हमने विधानसभा में सभी दलों की सहमति से अपराजिता विधेयक पारित किया. उस समय भाजपा ने भी इसका समर्थन किया था. लेकिन केंद्र सरकार और राज्यपाल ने इसे राजनीतिक बंधक बना दिया है. अपराजिता विधेयक को सितंबर 2024 में पश्चिम बंगाल विधानसभा के विशेष सत्र में ममता बनर्जी की मौजूदगी में सर्वसम्मति से पारित किया गया था. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने बताया कि दिल्ली पर दोष मढ़ने के बजाय मुख्यमंत्री को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. बंगाल महिलाओं के लिए असुरक्षित हो गया है. कानून-व्यवस्था की स्थिति चरमरा गयी है. विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह शर्म की बात है कि एक महिला मुख्यमंत्री के शासन में भी महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति इतनी खराब है. शुभेंदु ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम ओडिशा की अपनी बहन की रक्षा करने में विफल रहे. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय मुख्यमंत्री महिलाओं से कह रही हैं कि वे अपनी सुरक्षा का ख्याल खुद रखें.”तृणमूल ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पलटवार करते हुए उस पर पाखंड करने का आरोप लगाया. राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने कहा कि वही भाजपा जिसने विधानसभा में अपराजिता विधेयक का समर्थन किया था, अब दिल्ली में इसके क्रियान्वयन को रोक रही है. मोदी सरकार बेटी बचाओ के बारे में बहुत कुछ कहती है, लेकिन जब कोई राज्य कुछ ठोस करने की कोशिश करता है, तो वे उसे रोक देते हैं. उन्होंने कहा कि बंगाल के लोग देख रहे हैं. अगर केंद्र इस विधेयक को कानून की शक्ल नहीं लेने देता है, तो इसे महिलाओं के लिए न्याय में बाधा डालने के रूप में देखा जायेगा.
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