कोलकाता: स्ट्रैटेजिक फोरसाइट ग्रुप (एसएफजी) नामक संस्था द्वारा तैयार एक रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत व बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी समझौते पर हस्ताक्षर हो कर पानी का समान रूप से बंटवारा होता है, तो इससे बांग्लादेश व पश्चिम बंगाल के लगभग 250 मिलियन लोगों के बीच एक नयी आशा जगेगी.
एसएफजी की रिपोर्ट के अनुसार नये समझौते को अगर लागू किया जाता है, तो इससे दोनों देश के करोड़ों लोग लाभान्वित होंगे. रिवर्स ऑफ पीस, रिस्ट्रक्चरिगं इंडिया बांग्लादेश रिलेशंस नामक इस रिपोर्ट द्वारा एसएफजी का यह मानना है कि तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे के लिए समझौता करने का यह सबसे उचित मौका है. रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही देश में कुछ महीने के अंदर आम चुनाव होनेवाले हैं. चुनाव के बाद स्थिति कौन-सी करवट लेगी, इसके बारे में कोई नहीं बता सकता है. एसएफजी के अध्यक्ष डॉ संदीप वासलेकर का कहना है कि पानी के बंटवारे के मुद्दे पर दोनों दृष्टिकोण में केवल इतना फर्क हो सकता है कि तीस्ता के कुल वार्षिक बहाव का केवल एक प्रतिशत अधिक अर्थात 10 बिलियन क्यूबिट मीटर (बीसीएम) पानी भारत से बांग्लादेश को अधिक मिलेगा. चूंकि दोनों देशों के बीच दोस्ताना संबंध हैं. ऐसे में इस मुद्दे के आधार पर बांग्लादेश व पश्चिम बंगाल के 250 मिलियन लोगों को पहुंचनेवाले फायदे पर रोक लगाना उचित नहीं होगा.
एसएफजी के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर लमास फ्यूटहेली ने कहा कि तीस्ता समझौते पर जितना जल्द हस्ताक्षर होगा, उतना जल्द ही तीस्ता बेसिन के लिए एक संयुक्त निवेश योजना का द्वार खुल जायेगा, जिससे तीस्ता बेसिन में बाढ़ के पानी को जमा करने की परियोजना शुरू होगी. उस पानी के सूखे के समय इस्तेमाल में लाया जायेगा.
डॉ वासलेकर ने कहा कि संयुक्त नदी कमिशन से कोई फायदा नहीं हो रहा है. एसएफजी की इस रिपोर्ट को दोनों देशों के प्रधान मंत्रियों के दफ्तर को सौंप दिया गया है. एसएफजी का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह बांग्लादेश की राजधानी ढाका जाकर वहां संबंधित अधिकारियों व विपक्षी दलों के नेताओं से भेंट करेगा. उसके बाद एसएफजी का यह दल नयी दिल्ली एवं कोलकाता जा कर वहां भी सरकारी अधिकारियों व विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें वास्तविक स्थिति से अवगत कराने का प्रयास करेगा. एसएफजी वर्तमान में दुनिया के 50 देशों में काम कर रहा है.