कोलकाता : कुपोषण व कई जानलेवा रोगों के कारण पश्चिम बंगाल में आये दिन शिशु मृत्यु दर बढ़ती जा रही है. कुपोषण के अलावा अत्यधिक ठंड व गरमी की वजह से यहां हर वर्ष सैकड़ों बच्चे दम तोड़ देते हैं.
यहां शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए राज्य के एक मात्र सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल एसएसकेएम (पीजी) में एक विशेष योजना के तहत न्यूनेटल केयर प्रोजेक्ट चालू किया गया था, लेकिन सरकारी डॉक्टर बाबू व स्वास्थ्य भवन की उदासीनता के कारण अब यह प्रोजेक्ट लगभग बंद होने के कगार पर है.
नॉर्वे सरकार द्वारा दी गयी वित्तीय मदद का इस्तेमाल न होने की दिशा में वहां की सरकार ने अस्पताल प्रबंधन से उक्त धन राशि को वापस लौटाने कको कहा है. सरकार के इस निर्देश से अस्पताल प्रबंधन सकते में है.
प्रोफेसर डॉ अरुण सिंह उक्त विभाग के विभागाध्यक्ष थे. प्रोजेक्ट के कार्य चलने के दौरान अचानक उनका तबादला सागर दत्त मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में कर दिया गया, जिससे विभाग का कार्य लगभग ठप पड़ गया. इससे नाखुश नॉर्वे की सरकार ने उक्त योजना को बीच में ही बंद कर देने की घोषणा कर दी.
इस योजना के करीब डेढ़ साल तक चलने के बाद अब प्रोजेक्ट को बंद करने की स्थिति पैदा हो गयी है. इस प्रोजेक्ट को बंद किये जाने का एक और कारण स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता को भी माना जा रहा है, क्योंकि नॉर्वे से इस प्रोजेक्ट व कुछ आवश्यक चिकित्सकीय उपकरणों को खरीदने के लिए जो फंड मदद स्वरूप प्रदान किया गया था, उसका स्वास्थ्य विभाग की ओर से उचित इस्तेमाल नहीं किये जाने के कारण नॉर्वे सरकार ने पीजी के प्रबंधन से उक्त फंड को लौटाने को कहा है.
सूत्रों के अनुसार, नॉर्वे इस प्रोजेक्ट को बंद क र इसे दिल्ली के एम्स में चालू करने की योजना बना रही है. उधर, सूत्रों की मानें, तो अस्पताल प्रबंधन इस घटना के पीछे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जिम्मेवार मान रहा है.
प्रबंधन के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने नॉर्वे द्वारा दी गयी धन राशि का इस्तेमाल सही समय पर नहीं किया. इसलिए इससे नाखुश नॉर्वे सरकार ने प्रबंधन से इस फंड को वापस लौटाने को कहा है.
– शिव कुमार राउत –