कोलकाता : एक नये सर्वेक्षण में जन स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता जताते हुये कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित सुंदरबन द्वीप समूह में रहने वाली 64 फीसद महिलायें एनिमिया या रक्त की कमी से पीडि़त हैं.
यह सर्वेक्षण हैजा और आंत की बीमारियों के राष्ट्रीय संस्थान और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन सेव द चिल्ड्रेन ने पाथरप्रतिमा ब्लॉक में कराये गये सर्वेक्षण में पाया गया है कि 64 फीसद महिलाओं में एनीमिया की बीमारी है.
रिपोर्ट में कहा गया है, पंचायत और विभिन्न प्रकार के आंकड़ों से स्पष्ट रुप से पता चलता है कि सभी पंचायतों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं. उल्लेखनीय है कि खून में लाल रुधिर कणिकाओं की कमी को एनिमिया कहा जाता है. इसकी वजह से गर्भधारण में समस्या, शारीरिक और बौद्धिक विकास में कमी और बच्चों में बीमारी का खतरा बढ़ जाता है तथा वयस्कों में काम की उत्पादकता में कमी आ जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मातृत्व के दौरान होने वाली महिलाओं की मौत में 20 प्रतिशत रक्त की कमी से मरती है. अध्ययन का नेतृत्व करने वाली संस्थान की डाक्टर समीरन पांडा ने कहा कि पौष्टिक खाद्यान की कमी के अलावा सुंदरवन के लोगों में स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह परंपरायें अभी भी विद्यमान हैं जिससे रक्त की कमी होती है.
जलवायु परिवर्तन की वजह से सुंदरवन में समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, तटीय इलाकों का क्षरण हो रहा है, बाढ़ तथा चक्रवाती तूफान की संख्या कई गुना बढ़ गई है जिससे गांव वालों के अच्छे स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ गया है.