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संत का क्रोध भी होता है कल्याणकारी

कोलकाता : जो केवल प्रेम से ठाकुर को चाहता है, भजन करता है, कुछ नहीं मांगता, उसी के लिए ठाकुर आते हैं. ठाकुर के अवतार के लिए किसी को यशोदा, नंद बाबा और दशरथ-कौशल्या बनना पड़ता है. संतों और भक्तों को सुख देने के लिए भगवान अवतार लेकर लीला करते हैं. अधर्मियों और पापियों को […]

कोलकाता : जो केवल प्रेम से ठाकुर को चाहता है, भजन करता है, कुछ नहीं मांगता, उसी के लिए ठाकुर आते हैं. ठाकुर के अवतार के लिए किसी को यशोदा, नंद बाबा और दशरथ-कौशल्या बनना पड़ता है. संतों और भक्तों को सुख देने के लिए भगवान अवतार लेकर लीला करते हैं. अधर्मियों और पापियों को नाश, तो वे अपनी लोक में ही संकल्प करके कर सकते हैं. यशोदा का अर्थ है, जो सबको यश और आनंद प्रदान करे.

यशोदा कन्हैया काे दंडित करने के उद्देश्य से नहीं, प्रेम भाव से ओखल में बां‍धने लगी. जब वह कृष्ण को बांधने लगी, तो रस्सी छोटी होने लगी, तब उन्हें ध्यान आया कि बरसाने से राधा रानी की रस्सी से ही कृष्ण बंधेंगे. कृष्ण की शक्ति है राधा रानी. वृंदावन में राधारानी ही अराध्या हैं.
यशोदा राधा रानी की रस्सी से कृष्ण को ओखल में बांध कर अपना काम करने लगीं. कृष्ण से नटखट थे ही. सोचे की मां अपने काम में लगीं, तो मैं भी अपना काम करूं. कृष्ण ओखल के साथ नंद बाबा के भवन से निकलें और नंद बाबा के भवन के सामने यमलार्जुन पेड़ में अटक गये. यमलार्जुन वृक्ष कुबेर के दो पुत्र नल कुबेर और मणिग्रीव हैं.
कुबेर के इन दोनों पुत्रों को नारद ने शाप दिया था, क्योंकि ये दोनों मदीरा के मद में अपनी संपत्ति और शक्ति का अभिमान करते हुए नारद जी का अपमान किया था. इसे देख कर नारद ने क्रोधित होकर कुबेर को दोनों पुत्रों को शाप दिया कि जाओ, तुम वृक्ष हो जाओ, पर साधु ऐसे तत्व से बनता है, जो किसी की संपत्ति और शक्ति के प्रभाव में नहीं आता.
वह आता है, तो सिर्फ प्रेम भाव से. संत का क्रोध भी कल्याण करता है. संपत्ति, पद, पैसा, प्रतिष्ठा आवे, तो भगवान की कृपा समझनी चाहिए. इसका अभिमान नहीं करना चाहिए. अभिमान जीवन का सबसे बड़ा दोष है. ये बातें दीवान परिवार के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा के ओखल लीला पर प्रवचन करते हुए स्वामी गिरीशानंद महाराज ने कहीं.
श्रद्धालुओं का स्वागत दीवान परिवार की तरफ से मुरारीलाल, विजय, अशोक, विमल व अरुण दीवान ने किया. इस अवसर पर अरविंद नेवर, मंजू नेवर, सज्जन सिंघानिया, ओमप्रकाश कावटिया, श्रीराम अग्रवाल, बाबूलाल दीवान, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, संयुक्ता झाझड़िया, संजय झांझरिया, रामअवतार केडिया, संदीप अग्रवाल, प्रभात पंसारी, अनूप सि‍ंघानिया, पूर्णिमा तुलसीदास, सीताराम भुवालका व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.

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