कोलकाता: निवेशकों को चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए राज्य सरकार ने जो विधेयक विधानसभा से पारित करा कर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेजा था, उसे केंद्रीय गृह मंत्रलय ने कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगते हुए वापस लौटा दिया है. केंद्र ने राज्यपाल के माध्यम से यह विधेयक वापस राज्य सरकार को भेज दिया है. केंद्र ने विधेयक में कई खामियां देखी है और इन पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
सारधा चिटफंड घोटाला सामने आने के बाद ममता बनर्जी सरकार ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए 30 अप्रैल को विधानसभा में इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स इन फाइनेंशियल इस्टेब्लिशमेंट बिल, 2013 को पारित कराया था. राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए विधेयक को केंद्र के पास भेजा गया.
केंद्र ने सवाल किया है कि राज्य सरकार नये कानून के तहत पुराने मामले में गिरफ्तार आरोपी पर कैसे फौजदारी मामला चला सकती है, क्योंकि भारतीय संविधान में ऐसा प्रावधान ही नहीं है कि नया कानून बना कर किसी पुराने आरोपी को उस कानून के तहत सजा दी जा सके.
उधर, राज्य की कानून मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि अभी तक विधेयक की प्रति वापस नहीं मिली है. गौरतलब है कि सारधा सहित कई चिटफंड कंपनियां निवेशकों को करोड़ों रुपये का चूना लगा कर फरार हो चुकी हैं. इस सिलसिले में सारधा के मालिक सुदीप्त सेन सहित कई लोग गिरफ्तार कर किये जा चुके हैं. घोटाला सामने आने के बाद से 15 से ज्यादा निवेशक और चिटफंड कंपनियों के एजेंट खुदकुशी कर चुके हैं.