कोलकाता : केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर ‘बांग्ला’ करने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. बुधवार को सांसद ऋतव्रत बंद्योपाध्याय के सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि फिलहाल पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर ‘बांग्ला’ करना संभव नहीं है. नाम बदलने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी.गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर ‘बांग्ला’ रखने का विरोध करते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल का नाम ‘पश्चिम बंग’ ही रहे.
उल्लेखनीय है कि अक्तूबर 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें पश्चिम बंग का नाम बदल कर ‘बांग्ला’ करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था. उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह को फोन कर आग्रह किया था कि नाम के साथ बंगाल की भावना जुड़ी है. इस कारण नाम परिवर्तन की प्रक्रिया को त्वरित किया जाये.
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने गत वर्ष 26 जुलाई को राज्य का नाम बांग्ला, हिन्दी एवं अंग्रेजी में बदलकर ‘‘बांग्ला’ करने के एक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया था और इस प्रस्ताव को केन्द्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा गया था.राज्य सरकार ने 2011 में इसके लिए पश्चिम बंग नाम का सुझाव दिया था जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया था. वर्ष 2016 में एक अन्य प्रस्ताव दिया गया जिसमें राज्य का नाम अंग्रेजी में ‘बेंगाल’, बांग्ला भाषा में ‘बांग्ला’ और हिंदी में ‘‘बंगाल’ करने का प्रस्ताव दिया गया था.
इस घटनाक्रम से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब पहले के प्रस्ताव आये थे तो केंद्र सरकार की तरफ से यह आपत्ति व्यक्त की गयी थी कि बांग्ला नाम बांग्लादेश से काफी मिलता जुलता है. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इन दोनों के बीच भेद करने में काफी कठिनाई आयेगी.वर्ष 2018 के प्रस्ताव को विदेश मंत्रालय के पास उसकी राय जानने के लिए भेजा गया था. राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बनर्जी ने प्रधानमंत्री से राज्य का नाम बदलकर बांग्ला करने के लिए समुचित उपाय करने अनुरोध किया है. देश में इससे पहले 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओड़िशा किया गया था.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य का नाम बदल कर ‘बांग्ला’ करने की प्रक्रिया तेज करने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से संसद के मौजूदा सत्र के दौरान इसके लिए आवश्यक संविधान संशोधन करने का भी अनुरोध किया है.
यह पत्र ऐसे दिन भेजा गया है, जब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया कि केंद्र ने राज्य का नाम बदले जाने को अब तक हरी झंडी नहीं दी है और इसके लिए संविधान में संशोधन करने की जरूरत पड़ेगी.
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ‘ वेस्ट बंगाल (पश्चिम बंगाल) नाम अंग्रेजी में है और ‘पश्चिम बंग’ बंगाली में है तथा यह (पश्चिम बंगाल) हमारे राज्य के पुराने इतिहास की गवाही नहीं देता.’ गौरतलब है कि राज्य कैबिनेट ने आठ सितंबर 2017 को यह फैसला किया था कि राज्य का नाम बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी में ‘बांग्ला’ किया जाना चाहिए. ममता ने कहा कि विधानसभा ने इसके बाद 26 जुलाई 2018 को एक प्रस्ताव भी लाया.
पत्र में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने 21 अगस्त 2018 को केंद्रीय गृह सचिव को पश्चिम बंगाल का नाम बदलने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया था. गौरतलब है कि वर्ष 2011 में राज्य सरकार ने राज्य का नाम ‘पश्चिम बंगो’ करने का प्रस्ताव किया था, जिसे केंद्र द्वारा खारिज कर दिया गया. इसके बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में, तीन विभिन्न भाषाओं में राज्य का नाम बांग्ला (बंगाली में), बंगाल (अंग्रेजी में) और बंगाल (हिंदी में) करने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव को भी केंद्र ने खारिज कर दिया था.
भाजपा पश्चिम बंगाल के नाम परिवर्तन के खिलाफ : मुकुल
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल राय ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल के नाम परिवर्तन के खिलाफ है. भाजपा ने पहले भी इसका विरोध किया था तथा अभी भी विरोध करती है, क्योंकि पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी तथा इस नाम से इतिहास की यादें जुड़ी हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी साजिश के तहत मिटाना चाहती हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा के विरोध के कारण ही केंद्र सरकार इसे लागू नहीं कर रही है, श्री राय ने कहा कि नाम परिवर्तन के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत है.