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भाजपा चाहती है मुस्लिमों का वोट, पर विहिप है खिलाफ
कोलकाता :हाल ही में प्रदेश भाजपा ने मुस्लिमों में अपनी पैठ बनाने के लिए अपने अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्यों की कार्यशाला आयोजित कर ज्यादा से ज्यादा संख्या में मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू की है. वहीं, दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हाल ही में बजरंग दल ने अपना प्रशिक्षण […]
कोलकाता :हाल ही में प्रदेश भाजपा ने मुस्लिमों में अपनी पैठ बनाने के लिए अपने अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्यों की कार्यशाला आयोजित कर ज्यादा से ज्यादा संख्या में मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू की है. वहीं, दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हाल ही में बजरंग दल ने अपना प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया.
जहां पर संगठन की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गयी. तय हुआ कि है कि कभी वामपंथी दलों के गढ़ रहे इस राज्य में राजनीतिक मुद्दों और भाषा शैली में बदलाव लाया जाये. अब तक अजीविका से जुड़े मुद्दे ही नेताओं के भाषण में प्रमुख स्थान पाते थे. इस कार्यशाला में हिस्सा लेनेवाले लोगों ने हिंदुओं के उद्भव का आह्वान किया. साथ ही सरकार में बदलाव ला सकता है.ऐसे सरकार की जरूरत पर बल दिया गया.
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा ‘धार्मिक ध्रुवीकरण’ करना चाहती है. उधर, प्रदेश भाजपा ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घुसपैठियों को साथ लेकर राज्य में ‘भाषा के आधार पर ध्रुवीकरण’ करना चाहती हैं. इस रस्साकसी के बीच लोकसभा चुनावों को देखते हुए आनेवाले दो महीनों में राज्य की विभिन्न पार्टियों के नेता कड़ी मेहनत करने जा रहे हैं.
उधर, राज्य में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे वाम दल भी छह दिसंबर से जमीनी स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करके भाजपा के खिलाफ आंदोलन को धार देने जा रहे हैं.
इस बीच, हिंदू ‘जागरण’ अभियान के तहत विश्व हिंदू परिषद राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर धर्म सम्मेलन आयोजित कर रहा है. भाजपा भी तीन दिसंबर से रथयात्रा निकालने जा रही है.
विहिप के राज्य मीडिया प्रवक्ता सोरिश मुखर्जी ने कहा : राम मंदिर का निर्माण, रोहिंग्या समेत घुसपैठियों की पहचान उनके सम्मेलन का मुख्य एजेंडा है. उनके मुताबिक हमारा उद्देश्य समान सोचवाले लोगों को अपने से जोड़ना है. इसके तहत 18 नवंबर को गीता जयंती पर भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करेंगे. विहिप और बजरंग दल के अभियान के बाद भाजपा भी दिसंबर में बड़े स्तर पर रथयात्रा निकालेगी. भाजपा की नजर वर्ष 1971 के कट ऑफ डेट के बाद बिना कागज के बांग्लादेश से भारत आनेवाले हिंदू प्रवासियों पर है.
इसके इतर इसी समय तृणमूल कांग्रेस के नेता जनवरी में होनेवाली रैली के लिए तैयारियों में जुट गये हैं. उधर, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा का विरोध करनेवाले वाम दल एक बार फिर से राज्य की राजनीति को आजीविका के मुद्दे पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों को देखते हुए वामदल भी ब्रिगेड रैली आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं.
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