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18 वर्षों से बिहार-झारखंड के बीच जारी विवाद का औपबंधिक हल निकला, बिहार को पेंशनदेयता मद में और 597 करोड़ देगा झारखंड : मोदी

कोलकाता. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में कोलकाता में संपन्न हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक में 18 वर्षों से बिहार और झारखंड के बीच जारी पेंशनदेयता के विवाद का औपबंधिक हल निकल गया. यह जानकारी सोमवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दी. बैठक में चर्चा के विषयों पर जानकारी […]

कोलकाता. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में कोलकाता में संपन्न हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक में 18 वर्षों से बिहार और झारखंड के बीच जारी पेंशनदेयता के विवाद का औपबंधिक हल निकल गया. यह जानकारी सोमवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दी. बैठक में चर्चा के विषयों पर जानकारी देते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक आबादी के अनुपात के आधार पर झारखंड ने बिहार को एक महीने के अंदर 597.13 करोड़ देने पर अपनी सहमति दी.
वहीं, केंद्र सरकार बिहार को बीआरजीएफ के बकाया मद का 751 करोड़ भी शीघ्र निर्गत कर देगा. इसके अलावा बिहार में तैनात सीआरपीएफ की 5 बटालियन में से दो कंपनी को वापस लेने के निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह भी केंद्र से किया गया. बिहार और झारखंड के बीच अन्य मुद्दों को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच बैठक कर निपटारा करने पर सहमति बनी. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार पुनर्गठन विधेयक 2000 के अनुसार पेंशनदेयता का निर्धारण कर्मचारियों की संख्या के अनुपात के आधार पर करना था.
जबकि, झारखंड आबादी के अनुपात के आधार पर चाहता है. इस मुद्दे को लेकर झारखंड सुप्रीम कोर्ट भी गया मगर उसे कोई स्टे नहीं मिला और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच में हस्तांतरित कर दिया. 2012 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2010-11 तक की देयता के आधार पर झारखंड को 2,584 करोड़ भुगतान करने का निर्णय दिया. बाद में 2011-12 से 2016-17 तक पेंशनदेयता 2,584 करोड़ से बढ़ कर कुल 3,572 करोड़ हो गयी, जिसके विरुद्ध 2017-18 तक अलग-अलग वर्षों में झारखंड ने बिहार को 936.82 करोड़ का भुगतान किया.

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