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भाजपा और तृणमूल की नीति में फर्क नहीं : प्रभाष
कोलकाता : भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की नीतियों मेें कोई फर्क नहीं है, क्योंकि तृणमूल का हाथ पकड़ कर ही पश्चिम बंगाल में भाजपा अपनी जड़े मजबूत कर रही है. देश में जैसी विषम परिस्थिति बन रही है वैसी स्थिति पश्चिम बंगाल में भी है. यह आरोप एसयूसीआइ के महासचिव प्रभाष घोष ने लगाया है. […]
कोलकाता : भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की नीतियों मेें कोई फर्क नहीं है, क्योंकि तृणमूल का हाथ पकड़ कर ही पश्चिम बंगाल में भाजपा अपनी जड़े मजबूत कर रही है. देश में जैसी विषम परिस्थिति बन रही है वैसी स्थिति पश्चिम बंगाल में भी है. यह आरोप एसयूसीआइ के महासचिव प्रभाष घोष ने लगाया है.
वह एसयूसीआइ के संस्थापक व दिवंगत नेता शिवदास घोष की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में रविवार को महागनर के रानी रासमणि रोड में आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे. भारी बारिश के बावजूद सभा में काफी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही. पार्टी के महासचिव ने अपने वक्तव्य में माकपा के कुछ नेताओं व कार्यकर्ताओं पर भी निशाना साधा.
कथित तौर पर इस वर्ष हुए पंचायत चुनाव में कई जगहों पर भाजपा को रोकने के लिये निचले स्तर पर माकपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच समझौते की बात सामने आयी थी. माकपा से निष्कासित कुछ नेताओं के तृणमूल कांग्रेस का दामन थामनेवाली घटना हो चुकी है. ऐसे में मौजूदा समय में माकपा को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए. सभा के दौरान एसयूसीआइ ने असम में एनआरसी ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं किये जाने की निंदा करते हुए एनआरसी का विरोध किया है.
घोष ने अारोप लगाया है कि एनआरसी में छांटे गये ज्यादातर लोग धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक हैं. असम में हुई स्थिति से भयंकर मानवीय संकट पैदा हो सकता है.एसयूसीआइ ने असम में तमाम नागरिकों के नाम तुरंत शामिल करने की मांग की, जिन्हें ड्राफ्ट एनआरसी में नहीं जोड़ा गया है.
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