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कोलकाता : सत्ता में आये, तो बंगाल में भी एनआरसी
एनआरसी : विजयवर्गीय ने लगाया तृणमूल सरकार पर राजनीति करने का आरोप, कहा कोलकाता : राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध को तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय. शनिवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय […]
एनआरसी : विजयवर्गीय ने लगाया तृणमूल सरकार पर राजनीति करने का आरोप, कहा
कोलकाता : राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध को तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय.
शनिवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि आज ही के दिन 13 साल पहले ममता बनर्जी लोकसभा सदस्य होने के नाते स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के समय मोशन लाकर घुसपैठ के मुद्दे पर सदन में चर्चा करनी चाही थीं. लेकिन उस वक्त उन्हें मंजूरी नहीं मिली. नाराज ममता संसद की गरिमा को ताक पर रखते हुए उस वक्त पीठासीन चरणजीत सिंह अटवाल पर कागज फेंक कर आंसू बहाती हुईं सदन से इस्तीफा देने की पेशकश की थी. उनका आरोप था कि बांग्लादेशी घुपैठियों को लेकर माकपा पश्चिम बंगाल में वोट बैंक की राजनीति कर रही है.
श्री विजयवर्गीय ने ममता से सवाल किया कि आज 13 साल बाद स्थिति में ऐसा क्या परिवर्तन आया कि अब वह खुद एनआरसी का विरोध इस कदर कर रही हैं कि खुद उनकी ही विश्वसनियता पर सवाल उठ रहे हैं. तुष्टिकरण की नीति के कारण वह राष्ट्रहित को भी ताक पर रख रही हैं. यह काफी दुखद है, क्योंकि इस देश के संसाधनों व सुविधा का उपभोग करने का अधिकार केवल यहां के नागरिकों को है. कोई दूसरा इसे कैसे ले सकता है. क्या ममता बनर्जी चाहती हैं कि भारत के नागरिकों को उनके अधिकार नहीं मिले और बांगल्देशी घुसपैठिये उसका लाभ उठायें.
उन्होंने कहा कि इस मामले में भाजपा की स्पष्ट नीति है. बांग्लादेश से विस्थापित होकर जो हिंदू या अल्पसंख्यक आये हैं, वे शरणार्थी हैं और मुस्लिम घुसपैठिये हैं. क्योंकि वे लोग यहां रोजगार और इस देश की सुविधा का लाभ उठाने के लिए आये हैं. उन्हें इस देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है. पश्चिम बंगाल में भाजपा अगर सत्ता में आयी, तो वह एनआरसी को यहां भी लागू करेगी. इसमें किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जायेगा.
एनआरसी मुद्दे पर असम में तृणमूल खत्म : कैलाश
कोलकाता. भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने प्रदेश मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण के मुद्दे पर ममता बनर्जी के रूख से वहां पर तृणमूल कांग्रेस के सभी सदस्यों ने पार्टी छोड़ दी है.
उन्होंने कहा कि असम में तृणमूल कांग्रेस 13 साल पहले ममता बनर्जी घुसपैठ के मुद्दे पर जो स्टैंड ली थी, उसके साथ थी. वे भी पंजीकरण की मांग कर रहे थे, क्योंकि यह असम के लोगों की बुनियादी मांग है. लेकिन सुश्री बनर्जी ने इस मुद्दे के खिलाफ ही हमला बोल दिया है. इससे नाराज होकर उनके प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य सभी पदाधिकारियों ने तृणमूल कांग्रेस को अलविदा कह दिया. उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि ममता बनर्जी को इतिहास से सीख लेनी चाहिए. त्रिपुरा में भी ऐसा ही हुआ था. तब वहां भी तृणमूल कांग्रेस का नामोनिशान मिट है. वही हाल असम में हुआ. अब बारी बंगाल की है.
असम एनआरसी : बंगाल के प्रवासियों की पहचान के सत्यापन में कुछ महीने और लगेंगे
कोलकाता : असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लिए पश्चिम बंगाल से असम आकर बसे नागरिकों की पहचान के सत्यापन कार्य को पूरा होने में अभी कुछ महीना और लग सकता है. यहां एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि प्रक्रिया ‘काफी लंबी’ है और संबंधित अधिकारियों से एनआरसी सत्यापन पर रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है. अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया : अभी हमारे पास एक भी ऐसा आवेदन बाकी नहीं है. एनआरसी के अघतन के लिए जिन आवेदनों को नहीं भेजा गया है, उनके सत्यापन की प्रतीक्षा हो रही है. यह (सत्यापन) लंबी प्रक्रिया है और हमलोग इस पर काम कर रहे हैं.
इसे पूरा होने में कुछ और महीने लगेंगे. उन्होंने कहा कि एनआरसी सत्यापन दस्तावेजों को वापस करने में असम सरकार से दबाव था. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की पूरी प्रक्रिया की देखरेख करने वाले रजिस्ट्रार जनरल एवं भारत के जनसंख्या आयुक्त शैलेश ने कहा कि एनआरसी सत्यापन प्रक्रिया में पश्चिम बंगाल सबसे बड़ा चूककर्ता है. शैलेश ने कहा : सभी राज्यों में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल से हमें दस्तावेज नहीं मिले. हमने संघर्ष किया. हमने प्रयास किया. लेकिन हमें पश्चिम बंगाल से पर्याप्त संख्या में दस्तावेज नहीं मिले. (पश्चिम बंगाल से) नतीजों के संदर्भ में मिली प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं थी.
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