पुरुलिया से लोग खुद आये हैं या लाये गये!
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जो अमित शाह के मंच पर थे वो तृणमूल की शरण में पहुंचे, राहुल सिन्हा का आरोप डरा-धमका कर लोगों को लायी तृणमूल
पुरुलिया से लोग खुद आये हैं या लाये गये! किसी लालच में आये हैं या भय से ! कोलकाता : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गुरुवार को पुरुलिया दौरे के दौरान जिन परिवारों के सदस्यों से मुलाकात की थी, शुक्रवार को उन परिवारों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया. पुरुलिया के गोविंद राजभर […]
किसी लालच में आये हैं या भय से !
कोलकाता : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गुरुवार को पुरुलिया दौरे के दौरान जिन परिवारों के सदस्यों से मुलाकात की थी, शुक्रवार को उन परिवारों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया.
पुरुलिया के गोविंद राजभर और उनकी मां अष्टमी राजभर, शिशुबाला राजभर व उनके पुत्र संजय राजभर ने तृणमूल कांग्रेस के पूर्व मंत्री मदन मित्रा व सांसद डॉ शांतनु बोस की उपस्थिति में कालीघाट स्थित तृणमूल कांग्रेस आॅफिस में तृणमूल कांग्रेस का झंडा थामते हुए कहा कि वे लोग ममता बनर्जी के आश्रय में रहना चाहते हैं.
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुलाकात के दूसरे दिन ही पुरुलिया के ये दोनों परिवार दोपहर तक कोलकाता पहुंच गये थे और कोलकाता में कालीघाट स्थित तृणमूल कांग्रेस के कार्यालय में पहुंचे और बाद में पूर्व मंत्री मदन मित्रा और सांसद शांतनु बोस की उपस्थिति में ममता बनर्जी के आश्रय लेने और तृणमूल कांग्रेस का झंडा थामने की घोषणा की.
उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी पूर्व दौरे के दौरान श्री शाह ने उत्तर बंगाल के जिन परिवार के घर में भोजन किया था, अगले दिन उन लोगों ने सार्वजनिक रूप से तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की थी. शुक्रवार को फिर इस घटना की पुनरावृत्ति होने के बाद विभिन्न हलकों में यह सवाल किये जा रहे हैं, क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात के बाद पुरुलिया के ये लोग खुद तृणमूल कांग्रेस की शरण में आयें या फिर उन्हें डरा-धमका कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने के लिए बाध्य किया गया. पूर्व मंत्री मदन मित्रा ने कहा कि वे लोग कुछ भी नहीं जानते थे.
भाजपा अध्यक्ष पुलिस और मिलिट्ररी के साथ इनके घर पहुंच गये और इन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव डाला. इन लोगों को जबरन धमका कर भाजपा में शामिल होने के लिए कहा गया, लेकिन ये भाजपा में शामिल होने के प्रति ‘लेस इंटेरस्टेड’ हैं. वे लोग भयभीत हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शरण में आये हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार भाजपा अध्यक्ष आये थे, तो केले के पत्ते पर मूंग की दाल, आलू भाजा खाने के लिए मिला था.
लेकिन इस बार पुरुलिया दौरे के दौरान बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं मिली. सांसद शांतनु बोस ने कहा कि ये लोग मानसिक रूप से भयभीत हैं तथा गांव के आम लोग हैं. इनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तुलना चंबल के डकैते से करते हुए कहा कि वे पुलिस और मिलिट्री के साथ इन लोगों के पास पहुंच गये थे और इन्हें धमका रहे थे.
कालीघाट स्थित तृणमूल ऑफिस में पूर्व मंत्री मदन मित्रा ने थमाया पार्टी का झंडा
अब शाह को बंगाल में घुसने नहीं देंगे : मदन मित्रा
इस मौके पर मदन मित्रा ने कहा : ये लोग आम लोग हैं. इनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. भाजपा अध्यक्ष के रवैये से ये डरे हुए हैं.
पुरुलिया के आमलोगों के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने के बाद हुए डैमेज कंट्रोल पर नियंत्रण के लिए तृणमूल ने उन लोगों को अपने साथ लाकर यह दिखाने की कोशिश की है कि बंगाल में भाजपा का घुसपैठ आसान नहीं होगी. श्री मित्रा ने संवाददाता सम्मेलन में चुनौती देते हुए कहा : यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश नहीं है. यहां इंच-इंच की जमीन के लिए लड़ाई होगी.
एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेंगे. पहली बार मूंग की दाल मिली थी. इस बार कुर्सी भी नहीं मिली, अगली बार वह बंगाल नहीं घुस पायेंगे. राज्य के लोग उन्हें घुसने नहीं देंगे. खड़े होने के लिए पांव के नीचे जमीन नहीं मिलेगी. देश के अन्य राज्यों से भगाये जा रहे हैं. बंगाल उनकी कॉफिन में अंतिम कील होगी.
राहुल सिन्हा का आरोप डरा-धमका कर पुरुलिया से लोगों को लायी तृणमूल
कोलकाता : भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पुरुलिया में मिले परिवारों को तृणमूल कांग्रेस में शामिल किये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. श्री सिन्हा ने कहा कि पुरुलिया के गांव में राष्ट्रीय अध्यक्ष से चार-पांच परिवारों ने मुलाकात की थी.
लेकिन तृणमूल कांग्रेस उन्हें डरा-धमका कर कोलकाता ले आयी. उन्होंने कहा कि यहीं तृणमूल कांग्रेस के विनाश का बीज छिपा है. तृणमूल कांग्रेस कुछ लोगों को डरा-धमका सकती है, लेकिन राज्य की जनता तृणमूल कांग्रेस की हरकतों को अच्छी तरह से समझती है और सही समय पर इसका जवाब देगी.
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