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बंगाल में रोजाना 411 लोग तंबाकू सेवन से गंवा रहे अपनी जान

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में प्रत्येक दिन तंबाकू सेवन से 411 लोग अपनी जान गवां रहे हैं, जबकि देशभर में करीब 2739 लोग प्रतिदिन तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के कारण कैंसर व इससे होनेवालीं बीमारियों से दम तोड़ देते हैं. इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में प्रत्येक दिन तंबाकू सेवन से 411 लोग अपनी जान गवां रहे हैं, जबकि देशभर में करीब 2739 लोग प्रतिदिन तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के कारण कैंसर व इससे होनेवालीं बीमारियों से दम तोड़ देते हैं. इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होनेवालीं बीमारियों और मौतों की रोकथाम को ध्यान में रखकर इस वर्ष 2018 का थीम ‘टोबेको और कार्डियोवैस्कुलर डिजिज (तंबाकू और हृदय रोग )’ रखा है.
आमलोगों में सामान्य रूप से प्रचलित धुएं रहित या चबानेवाला तंबाकू, सिगरेट और बीड़ी से सुरक्षित है और इससे दिल की बीमारी नहीं होती, की इस धारणा को भ्रामक और गलत बताया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. धूम्रपान या चबाने के रूप में तंबाकू का उपयोग कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बनता है.
वाॅयस ऑफ टोबेको विक्टिमस के पैट्रन (वीओटीवी) व नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कैंसर सर्जन डाॅ सौरव दता का कहना है कि तंबाकू दुनिया में कार्डियो-वैस्कुलर मौत और अक्षमता का सबसे ज्यादा ज्ञात और रोकथाम योग्य कारण है.
क्या कहना है डॉक्टर का
टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई के प्रोफेसर और सर्जिकल ओन्कोलॉजी डॉ पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन शरीर के किसी भी हिस्से को इसके हानिकारक प्रभाव से नहीं बचाती. यहां तक कि धुआं रहित तंबाकू प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपों में भी इसी तरह के दुष्प्रभाव का कारण बनता है. हमारे शरीर के अंगों को सीधे नुकसान पहुंचाने के अलावा, धुआं रहित तंबाकू का उपभोग करनेवाले लोगों में दिल के दौरे के बाद मृत्यु दर में काफी वृद्धि करता है.
सभी कार्डियोवैस्कुलर (सीवी) रोग का लगभग 10 प्रतिशत का कारण तंबाकू का उपयोग है. भारत में सीवी रोग की बड़ी संख्या को देखते हुए, इसका दुष्प्रभाव बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि जब सरकारें स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर बजट खर्च कर रही हैं, उन्हें रोकथाम की रणनीतियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जिनमें तंबाकू उपयोग में कमी करना प्रमुख है.
भारत में धुआं रहित तंबाकू का सेवन अधिक
ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस -2) 2016-17 के अनुसार, भारत में धुआं रहित तंबाकू का सेवन धूम्रपान तंबाकू से कहीं अधिक है. वर्तमान में 42.4 प्रतिशत पुरुष, 14.2 प्रतिशत महिलाएं और सभी वयस्कों में 28.6 प्रतिशत धूम्रपान करते हैं या फिर धुआं रहित तम्बाकू का उपयोग करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक इस समय 19 प्रतिशत पुरुष, दो प्रतिशत महिलाएं और 10.7 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते हैं, जबकि 29.6 प्रतिशत पुरुष, 12.8 प्रतिशत महिलाएं और 21.4 प्रतिशत वयस्क धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं. 19.9 करोड़ लोग धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं, जिनकी संख्या सिगरेट या बीड़ी का उपयोग करनेवाले 10 करोड़ लोगों से कहीं अधिक हैं.
बंगाल में धुआं रहित तंबाकू सेवन करने में पुरुष आगे
संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने बताया कि पश्चिमी बंगाल के गैटस 2 सर्वे 2016-17 के अनुसार वर्तमान में पुरुषों का 48.5 प्रतिशत, 17.9 प्रतिशत महिलाएं और सभी वयस्कों में 33.5 प्रतिशत धूम्रपान या धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करने का प्रचलन है. आंकड़ों के मुताबिक, 31.7 प्रतिशत पुरुष, 0.9 प्रतिशत महिलाएं और सभी वयस्कों में 16.7 प्रतिशत तंबाकू धूम्रपान करते हैं, जबकि 22.8 प्रतिशत पुरुष, 17.2 प्रतिशत महिलाएं और सभी वयस्कों में 20.1 प्रतिशत वर्तमान में धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं.

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