कोलकाता :पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस बार बड़े पैमाने पर रामनवमी उत्सव मनाया.हालांकिममताबनर्जीखुदरामनवमीसे जुड़े किसी आयोजन में शामिल नहीं हुईं और न हीउन्होंने अौपचारिक रूप से दूसरे बड़े नेताओं की तरह शुभकामनाएं प्रेषित की,लेकिनअपनेकार्यकर्ताओं व समर्थकों को उनका संदेश बहुत स्पष्ट था. तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक स्तर तक के कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिया गया था कि वे रामनवमी उत्सव का आयोजन अपने क्षेत्र में करें और अपने समर्थकों के साथ उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने एेसा आयोजन पहले कभी नहीं किया था. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिर ममता बनर्जी की पार्टी को राम नवमी उत्सव मनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
इस सवाल की वजहें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की उस सोच से जुड़ी हैं, जिसके माध्यम से वे वैचारिक और राजनीतिक रूप से पूरब के इस सबसे राज्य पर कब्जा करना चाहते हैं. संघ के एजेंडे में पूर्वी भारत व दक्षिणी भारत प्रमुखता से है. पूर्वोत्तर भारत में संघ की वैचारिक ऊर्जा से संचालित होने वाली भारतीय जनता पार्टी ने कई राज्यों में सरकार भी बना ली है. आने वाले सालों में भगवा पार्टी ऐसा ही सपना पश्चिम बंगाल के लिए देखती है. चुनाव-दर-चुनाव लगातार भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ता जा रहा है जो उसके सपनों के सच होने के लिए तो साकारात्मक हैपर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के लिए बेचैन करने वाली बात.
भाजपा कादावा: रामवनमी जुलूस ‘‘ हिंदुओं को एकजुट’ का माध्यम बना
न्यूज एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, भगवा दल ने इन रैलियों को बंगाल के ‘‘हिंदुओं को एकजुट’ करने की दिशा में पहला कदम करार दिया था. इसके लिए भाजपा की ओर से व्यापक तैयारी की गयी थी. खड़गपुर में अस्त्र जुलूस में राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष खुद शामिल हुए. उन्होंने इस दिन अस्त्र पूजा के महत्व का भी उल्लेख किया. हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार ने अस्त्र जुलूस पर रोक लगा रखी थी, ऐसे में पुलिस ने कार्रवाई की चेतावनी दी है. वहीं दिलीप घोष ने कहा है कि यह जुलूस ‘‘ हिंदू विरोधी तृणमूल सरकार’ के खिलाफ हिंदुओं को एकजुट करने की दिशा में पहला कदम है. तृणमूल के कद्दावर नेता रह चुके वअब भाजपा में शामिल मुकुल राय और पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव सायंतन बसु ने क्रमश: बागबाजार और रामलीला मैदान में आयोजित रामनवमी रैलियों में हिस्सा लिया.
पुरुलियामें हिंसा और तृणमूल का दावा
रज्य के पुरुलिया जिले में झड़प भी हुई, जिसमें एक की मौत हुई व पांच लोग घायल हुए. स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि विश्व हिंदू परिषद ने रामनवमी पर हथियारों के साथ जुलूस निकाला जिसमें बच्चे हथियार लिए नजर आए. हालांकि भाजपा और संघ परिवार के अनुषंगी संगठनों द्वारा आयोजित रैलियों के जवाब में तृणमूल कांग्रेस ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में जुलूस निकाले और राम की पूजा की. पार्टी के एक नेता ने कहा ‘‘ भाजपा राज्य के लोगों को बांटने के लिए रामनवमी का इस्तेमाल नहीं कर पाएगी.’
तृणमूल पर दबाव
तृणमूल कांग्रेस के इस कदम से यह स्पष्ट है कि वह भाजपा की हिंदू पॉलिटिक्स से दबाव में है और उसे भविष्य की चिंता है. राज्य में मुसलिम आबादी करीब 30 प्रतिशत है. सीमावर्ती जिलों में यह अधिक है. राज्य में एससी-एसटी-ओबीसी समुदाय के लोगों की आबादी 22 प्रतिशत है. मुसलिम वोट कभी वाम का आधार होता था, आज तृणमूल का आधार है. वाम ने भूमि सुधार कर एससी-एसटी-ओबीसी समुदाय को वोटरों पर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली थी, अब तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वही कर रही हैं.
लेकिन, संघ व भारतीय जनता पार्टी इसे दूसरे अंदाज में चुनौती दे रहे हैं. जैसे, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राज्य के दौरे पर जाते हैं तो वे एससी-एसटी परिवारों में जाते हैं और वहां जमीन पर बैठ कर भोजन करते हैं. भाजपा इन वर्गों में भी हिंदू होने का भाव भर रही है.एक स्थानीय पत्रकार कहते हैं भाजपा ने इस बार बड़े पैमाने पर रामनवमी जुलूस आयोजित कर तृणमूल समर्थकों में भी यह भाव भर दिया है कि वे भी हिंदू हैं. उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में इससे पहले रामनवमी जुलूस की ऐसी कोई परंपरा नहीं रही है.वेकहते हैं कि भाजपा कीयहरणनीतितृणमूलकांग्रेस के लिए चिंता की बात है.
सोनिया गांधी की चिंता से जैसी है ममता बनर्जी की चिंता?
पखवाड़े भर पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि भाजपा ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी साबित करने का अभियान चलाया और वह इसमें कामयाब हो गयी जिस कारण कांग्रेस हार गयी और बीजेपी सत्ता में आ गयी. संभवत: प्रदेश स्तर पर यही भय तृणमूल कांग्रेस के अंदर भर गया है, भले उसे स्वर न दिया जा रहा हो. और, यही बात वह वजह बनी कि वह भी रामनवमी जुलूस निकाले व उसमें शामिल हो.
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