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WB News : बारिश की कामना लिए मेंढक मेंढकी की कराई गई शादी, हल्दी के बाद विवाह के मंडप में हुआ सिंदूर दान भी

WB News :श्री कांजिलाल बताते हैं कि पुराने जमाने के वुजुर्गों की बातों को सुनकर हाबरा के काशीपुर में यह आयोजन किया गया था, जिससे भारी बारिश हो और समाज के हर वर्ग के लोगों को गर्मी से राहत मिल सके. इस दिन विवाह समारोह में जहां एक तरफ गांव के लोग शामिल हुए थे वहीं दूसरी ओर कुछ मेंढकों को भी बाराती बनाकर यहां लाया गया था.

हाबरा, विकास कुमार गुप्ता : इन दिनों लगातार बढ़ रही गर्मी से एक तरफ आम जनता तो दूसरी तरफ हमारे अन्नदाता किशान परेशान हैं. यही नहीं, लगातार अपने ही रिकार्ड को तोड़ रही झुलसा देनेवाली गर्मी से स्कूली बच्चे भी त्रस्त हैं. इन सभी के बीच गर्मी से राहत पाने लिए बारिश की कामना लेकर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 50 किलोमीटर दूर उत्तर 24 परगना जिले के हाबरा में स्थित कुमड़ा काशीपुर में स्कूली बच्चों के साथ उनके अभिभावकों ने मेंढक एवं मेंढकी का विवाह करवाया. इस विवाह समारोह में एक तरफ बड़ी संख्या में गांव के लोग व बच्चे तो दूसरी तरफ करीब दर्जन भर मेंढक बाराती के तौर पर मौजूद थे.

क्या है मामला

विवाह के आयोजक संजीव कांजिलाल ने बताया कि हमारा राज्य इन दिनों गर्मी की मार झेल रहा है. जिससे खेतों में किसान काम नहीं कर पा रहे हैं तो स्कूलों में छात्र पढ़ नहीं पा रहे हैं. सड़कों पर दुकानदार गर्मी से परेशान हैं तो घरों में मासूम बच्चे गर्मी से त्रस्त हैं. लगातार बढ़ रही गर्मी इन दिनों एक के बाद एक वर्षों का रिकार्ड तोड़ रही है. इसे देखते हुए हमे अपने बड़े वुजुर्गों की बातें याद आ गई. बचपन में उन्हें कहते हुए सुना था कि गर्मी से राहत पाने के लिए मेंढक और मंंढकी का विवाह कराने से इंद्र देवता प्रसन्न होते हैं. जिससे बारिश होने के आसार बनने लगते हैं. इसी पुरानी कहावत को मानकर गर्मी से समाज के लोगों को राहत दिलाने के लिए कुमड़ा काशीपुर इलाके में स्थित एक टाकार पाठशाला के बच्चों को लेकर मेंढक- मेंढकी के विवाह का आयोजन किया गया था. जिसमें गांव के बच्चे और उनके अभिभावक भी शामिल हुए थे.

बनाया गया विवाह का मंडप, दुल्हन को पहनाया गया शादी का लाल जोड़ा

विवाह कार्यक्रम के लिए केले के पत्तों को घेरकर विवाह का मंडप बनाया गया था. इसके बाद घड़ा में भरकर तालाब से पानी लाकर मंंढकी को नहलाकर हल्दी का कार्यक्रम सम्पन्न किया गया. इसके बाद दुल्हा-दुल्हन मेंढकों के लिए बनाये गये विवाह मंडप में उन्हें ले जाया गया. वरमाला, एवं दुल्हा-दुल्हन को मुकुट पहनाकर माला पहनाने के बाद दुल्हन मेंढक को सिंदूर लगाकर मंडप के चारों तरफ फेरा लगाया गया. जिसके बाद इस तरह से दोनों के बीच विवाह संपन्न कराया गया.

शादी में कई अन्य मेंढह बाराती बनकर आये थे यहां, विवाहोपरांत पेट भर कराया गया भोजन

श्री कांजिलाल बताते हैं कि पुराने जमाने के वुजुर्गों की बातों को सुनकर हाबरा के काशीपुर में यह आयोजन किया गया था, जिससे भारी बारिश हो और समाज के हर वर्ग के लोगों को गर्मी से राहत मिल सके. इस दिन विवाह समारोह में जहां एक तरफ गांव के लोग शामिल हुए थे वहीं दूसरी ओर कुछ मेंढकों को भी बाराती बनाकर यहां लाया गया था. विवाहोपरांत मौजूद सभी लोगों एवं बच्चों को भरपेट भोजन कराया गया. वहीं दुल्हा-दुल्हन के रुप में मेंढक और मेंढकी को समाज हित के लिए एक कुएं में छोड़ दिया गया. वहीं उसी कुएं में बाराती के तौर पर आये अन्य मेंढकों को भी छोड़ दिया गया. जिसके बाद मेंढकों के खाने का भोजन भी उस कुएं में डाला गया. श्री संजीव कांजिलाल कहते हैं कि इस आयोजन का अंजाम चाहे जो भी हो, ईश्वर से वह यही कामना करते हैं कि राहत की बारिश हो, जिससे पूरे समाज के हर वर्ग को राहत और सुकून मिल सके.

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