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सात पूर्व कुलपतियों ने राज्यपाल को भेजा लीगल नोटिस

इसमें सात विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपतियों ने मिलकर चांसलर को एक कानूनी नोटिस भेजा है.

कोलकाता.पश्चिम बंगाल में जो सरकारी विश्वविद्यालय हैं, इनके कुलपतियों के खिलाफ आचार्य यानी चांसलर ने अमर्यादित व मानहानिकारक शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिससे कुलपतियों की प्रतिष्ठा को काफी ठेस पहुंची है. चांसलर, यानी राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने आरोप लगाया था कि कुलपति छात्रों को प्रताड़ित करते हैं और गैर-जिम्मेदाराना काम करते हैं. उनके इस बयान से कुलपतियों की छवि मीडिया में खराब करने की कोशिश की गयी. अब राज्यपाल को इस बयान के लिए फाइनल कानूनी नोटिस भेजा गया है. इसमें सात विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपतियों ने मिलकर चांसलर को एक कानूनी नोटिस भेजा है. यह जानकारी संवाददाता सम्मेलन में मंगलवार को पूर्व कुलपति, (उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय) प्रो. ओम प्रकाश मिश्रा ने दी. द एजुकेशनिस्टस फोरम, वेस्ट बंगाल के बैनर तले आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अलग-अलग सरकारी विश्वविद्यालयों के 14 पूर्व कुलपतियों ने भाग लिया. प्रोफेसर ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि वाइस चांसलर का पद एक प्रतिष्ठित व महत्वपूर्ण पद होता है. चांसलर ने बिना चर्चा किये कुछ कुलपतियों के खिलाफ अशालीन टिप्पणी की और चैनल व समाचार पत्रों को दिये गये इंटरव्यू में भी कुलपतियों पर अमर्यादित टिप्पणी की थी. यह सात सितंबर, 2023 की बात है. इसका काफी विरोध किया गया था. कुछ कुलपतियों ने उनको 14 सितंबर, 2023 को इसके खिलाफ नोटिस भी भेजा था. नोटिस में कहा गया था कि चांसलर अपने शब्द वापस लें या माफी मांगे या जुर्माना अदा करें. लेकिन इसको उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया. अब सात पूर्व कुलपतियों ने उनको कानूनी नोटिस भेजा है. अगर यूनिवर्सिटियों के चांसलर सीवी आनंद बोस इसका जवाब नहीं देते हैं तो आठवें दिन उनके खिलाफ सिविल व क्रिमिनल मामला कोर्ट में दायर किया जायेगा. प्रो. मिश्रा का कहना है कि राज्यपाल को संविधान की ओर से सुरक्षा कवच मिला हुआ है, लेकिन चांसलर के रूप में उनको कोई सुरक्षा कवच नहीं है. उनके लिए यह कानूनी लड़ाई काफी मुश्किलभरा हो सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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