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लक्खी भंडार जैसी सशक्तीकरण योजनाओं को जारी रखने को प्रतिबद्ध : मंत्री

केंद्र की भाजपा सरकार पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए राज्य को देय हिस्सा जारी नहीं करने का आरोप

कोलकाता. केंद्र की भाजपा सरकार पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए राज्य को देय हिस्सा जारी नहीं करने का आरोप लगाते हुए बंगाल की वित्त राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार द्वारा शुरू की गयी लक्खी भंडार जैसी सामाजिक कल्याण योजनाएं कभी बंद नहीं होंगी. उन्होंने आजादी से पहले बनाये गये केंद्र के कानून सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944 को निरस्त करने की मांग पर राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के बाद चर्चा का जवाब देते हुए ये बातें कहीं. राज्य के मुख्य विपक्षी दल भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि विपक्ष जनहित के मुद्दों पर एक स्वर में क्यों नहीं बोल सकता है. प्रस्ताव, जिसमें सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 में संशोधन की भी मांग की गयी है, सदन में चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित हो गया. प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान, मंत्री ने राज्य की लक्खी भंडार (महिला सशक्तीकरण योजना) के लिए भाजपा विधायक नीलाद्री शेखर दाना द्वारा की आलोचना का जवाब दिया. मंत्री ने कहा : आप में से एक विधायक ने पूछा कि क्या लक्खी भंडार का स्थान नारायण भंडार लेगा. खैर, हमने पैसे उधार लेकर लक्खी भंडार शुरू नहीं किया. हमने इसे अपने संसाधनों से वित्तपोषित किया है. हम लक्खी भंडार योजना को जारी रखेंगे. उन्होंने कहा : हम इस तरह की सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए धन खर्च करना जारी रखेंगे. बता दें कि लक्खी भंडार योजना के तहत राज्य सरकार प्रत्येक परिवार की महिला को मासिक 1000 रुपये देती है. एससी, एसटी श्रेणियों की महिलाओं के लिए यह राशि 1,200 रुपये है. मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से संघीय ढांचे में होने के बावजूद हमें कई परियोजनाओं के लिए केंद्र से उचित हिस्सा नहीं मिलता है. उन्होंने इस प्रस्ताव के बारे में कहा कि सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944 को निरस्त करने के बारे में पहले केंद्र ने ही राज्य को सुझाव दिया था. उन्होंने भाजपा की तरफ इशारे करते हुए कहा कि विधायक होने के नाते विधानसभा में जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि वे विभिन्न मामलों पर राज्य के हितों की बात आने पर एकता दिखायें. संसद को सार्वजनिक ऋण अधिनियम को निरस्त करने का अधिकार देने के प्रस्ताव के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ राज्य पहले ही यह प्रस्ताव पारित कर चुके हैं. हमने केंद्र की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव पेश किया है. सरकारी प्रतिभूतियों और सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने के लिए ब्रिटिश शासन में सार्वजनिक ऋण अधिनियम का मसौदा तैयार किया गया था.

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