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बांकुड़ा: एसआइआर प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक हलचल तेज

जिले में एसआइआर कार्य को लेकर राजनीतिक सक्रियता के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है. निर्वाचन विभाग ने एसआईआर कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

बांकुड़ा.

जिले में एसआइआर कार्य को लेकर राजनीतिक सक्रियता के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है. निर्वाचन विभाग ने एसआईआर कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. मंगलवार से जिले में एसआइआर की प्रक्रिया शुरू हो गई. सुबह से ही निर्वाचन आयुक्त और अधिकारी घर-घर जाकर फॉर्म बांटते, मतदाताओं से बातचीत करते और उन्हें फॉर्म भरने की प्रक्रिया समझाते नजर आये. हालांकि, कई जगहों पर अधिकारियों को तृणमूल नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ भी देखा गया. शुरुआत से ही सत्तारूढ़ दल के नेता, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि इस प्रक्रिया को लेकर सबसे अधिक सक्रिय दिखाई दे रहे हैं.

तृणमूल की ओर से नियंत्रण कक्ष और बैठकें

एसआइआर को लेकर जिला तृणमूल कार्यालय में एक नियंत्रण कक्ष खोला गया है, जहां से प्रखंड स्तर पर समन्वय किया जा रहा है. मंगलवार को बांकुड़ा सांगठनिक जिला अध्यक्ष ने इसकी घोषणा की. उसी दिन इंदपुर के गौरबाजार क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस की बैठक हुई, जिसमें क्षेत्रीय नेतृत्व, बूथ अध्यक्ष, जनप्रतिनिधि और विभिन्न स्तर के कार्यकर्ता शामिल हुए. इस बैठक में मुख्य रूप से एसआइआर पर चर्चा की गयी.

इंदपुर ब्लॉक तृणमूल अध्यक्ष रेजाउल खान ने आरोप लगाया कि एसआइआर के माध्यम से वैध मतदाताओं के नाम सूची से बाहर करने की “साजिश ” की जा रही है और कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने और स्थिति से निपटने के निर्देश दिये.

गंगाजलघाटी क्षेत्र में भी तृणमूल की ओर से एक एसआइआर सहायता केंद्र खोला गया. इस बैठक में विधायक आलोक मुखर्जी और अन्य तृणमूल नेता मौजूद रहे. सभी को वैध मतदाताओं के नाम हटाने के आरोपों पर शिकायत दर्ज करने और सक्रिय रहने को कहा गया. वहीं जिला परिषद सभागार में बांकुड़ा ब्लॉक नंबर 1 में पार्टी की ओर से प्रशिक्षण बैठक आयोजित की गयी. सालतोड़ा में पार्टी बीएलए के लिए बंगाल वोट सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित हुआ.

भाजपा और वाममोर्चा की प्रतिक्रिया

एसआइआर कार्य शुरू होने पर भाजपा कार्यकर्ता जिले में लड्डू बांटते देखे गए. दूसरी ओर, बांकुड़ा के उप-मंडल शासक द्वारा विधानसभा क्षेत्रवार एसआइआर पर सर्वदलीय बैठक भी की गयी. इस बैठक में भाजपा ने प्रशासन से एसआइआर में नियुक्त बीएलओ की सूची और उनके विवरण की मांग की. माकपा ने मांग की कि सभी दलों को यह बताया जाए कि एसआइआर प्रक्रिया कैसे होगी, बीएलओ कितनी बार जायेंगे और 2002 की मतदाता सूची की प्रति उपलब्ध करायी जाये. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रक्रिया का सही पालन किया गया, तो किसी तरह की समस्या नहीं होगी.

सांसद का बयान बना विवाद का केंद्र

बांकुड़ा के तृणमूल सांसद अरूप चक्रवर्ती द्वारा पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बीएलओ के काम में शामिल होने का निर्देश दिये जाने के बाद विवाद बढ़ गया. उन्होंने कहा कि जब बीएलओ गांव जाएं, तो तृणमूल कार्यकर्ता उनके साथ रहें. यदि कोई व्यक्ति घर पर न मिले, तो उसका फॉर्म भरकर जमा किया जाये. गांव-गांव नागरिक समितियों का गठन कर नाम छूटने के खिलाफ संगठित आंदोलन तैयार करने की बात कही गयी.

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