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टीडीबी कॉलेज में प्रेमचंद के गोदान पर हुआ विशेष व्याख्यान

बुधवार को टीडीबी कॉलेज के हिंदी विभाग में ''प्रेमचंद के गोदान की आलोचना’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ बलभद्र ने व्याख्यान दिया.

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रानीगंज.

बुधवार को टीडीबी कॉलेज के हिंदी विभाग में ””प्रेमचंद के गोदान की आलोचना’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ बलभद्र ने व्याख्यान दिया. कहा कि प्रेमचंद ने जब लिखना शुरू किया, तब भारत गुलाम था. लेखक चाहे किसी भी भाषा का हो, वह अपने समय से प्रभावित होता है.

गुलामी का समय होने के कारण, प्रेमचंद ने भी गुलामी के प्रभाव को अपने लेखन में दर्शाया. बताया कि गुलामी का असर देश और समाज के विभिन्न पहलुओं, जैसे किसानों, महिलाओं व शिक्षण संस्थानों पर कैसे पड़ता है. गुलामी एक गुलाम नागरिक को जन्म देती है. उपन्यास की आलोचना करते समय, हमें उपन्यास के रचनाकाल को ध्यान में रखना चाहिए. मुक्तिबोध ने भी यही कहा है. हमें रचना, रचनाकार और रचनाकाल, इन तीन चीजों को ध्यान में रखकर ही किसी रचना की आलोचना करनी चाहिए.इस संदर्भ में, उन्होंने मुक्तिबोध की पुस्तक ””कामायनी: एक पुनर्विचार”” की भी चर्चा की.

इस अवसर पर वरिष्ठ अध्यापक डॉ मंजुला शर्मा ने विभाग की ओर से पुष्पगुच्छ देकर प्रोफेसर डॉ बलभद्र का स्वागत किया, और डॉ गणेश रजक ने उन्हें उत्तरीय दिया गया. व्याख्यान में पीजी समन्वयक डॉ जयराम कुमार पासवान, यूजी समन्वयक डॉ वसीम आलम, डॉ आलम शेख, डॉ मीना कुमारी, डॉ किरणलता दुबे और रीना तिवारी भी उपस्थित थे. कार्यक्रम में यूजी और पीजी के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.

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