पार्षद का दावा प्रतिदिन होती है इलाके में सफाई, नागरिकों ने इसे महज कागजी कार्रवाई बताया
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सफाई व्यवस्था का हाल बेहाल
पार्षद का दावा प्रतिदिन होती है इलाके में सफाई, नागरिकों ने इसे महज कागजी कार्रवाई बताया आसनसोल : नगर निगम के वार्ड संख्या 39 अनेकों इलाकों में जल निकासी की सही व्यवस्था और कूड़ेदान नहीं होने से गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यह गंदगी आवारा पशुओं का चारागाह बन गया है. बरसात के दिनों […]
आसनसोल : नगर निगम के वार्ड संख्या 39 अनेकों इलाकों में जल निकासी की सही व्यवस्था और कूड़ेदान नहीं होने से गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यह गंदगी आवारा पशुओं का चारागाह बन गया है. बरसात के दिनों में तो लोगों की समस्या चरम पर होती है. 21 हजार की आवादी वाले इस वार्ड में 18 सफाई कर्मी हैं.
पार्षद विश्वजीत राय चौधरी के अनुसार 18 कर्मी नियमित इलाके में जाकर सफाई के साथ ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव करते हैं. दो कर्मी नियमित स्प्रे करते है और चार कर्मी महीने में 16 दिन इलाकों में कीटनाशक का स्प्रे करते हैं. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है. स्थानीय लोगों ने पार्षद के दावे को पूर्णरूप से खारिज कर दिया. सफाई को लेकर स्थानीय लोगों में ननि प्रशासन के खिलाफ भारी नाराजगी है.
आंखों देखी
वार्ड संख्या 39 के छातापाथर ग्लास फैक्ट्री इलाके के हांड़ीपाड़ा इलाके में कुछ जगहों पर अधूरी नालियां देखने को मिलीं. जिसका पानी लोगों के घरों के सामने आकर जमा होता है. इसकी सफाई भी नियमित न होने से पूरे इलाके में दुर्गंध फैला हुआ है. ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कहीं भी नजर नहीं आया. कूड़ेदान की व्यवस्था भी नहीं होने से जगह-जगह कूड़े का भरमार है. जिसपर आवारा पशु चरते हैं और कूड़े को पूरे इलाके में फैला देते है.
वह कूड़ा वैसे ही पड़ा है. उषाग्राम न्यूघुषिक के चटाईधौड़ा, उषाग्राम विजयनगर इलाके में नालियों की व्यवस्था नहीं है, गंदा पानी खुले मैदान में बह रहा है. कूड़ेदान की भारी कमी है. उषाग्राम के भगतपाड़ा तरुणपल्ली रोड में नालियां तो है परंतु उनकी सफाई नहीं होती हैं. हर ओर खुले जगहों पर कूड़ा पड़ा है. जिसे उठाने वाला कोई नहीं है.
क्या कहना है इलाके के लोगों का
छातापाथर हांड़ीपाड़ा इलाके के शंभू प्रसाद गुप्ता ने कहा कि यहां नालियों की सफाई कभी नहीं होती है. सफाई कर्मी यहां आते ही नहीं हैं. जो भी सफाई करना होता है उसे स्थानीय लोग मिलकर करते हैं. कहीं भी कूड़ादान नहीं दिया गया है. इसलिए लोग खुले जगह पर कचड़ा फेंक देते हैं. एक-दो बार फॉगिंग मशीन का उपयोग हुआ है.
राज हांड़ी ने कहा कि इलाके में सफाई नहीं होती है. भूले भटके सफाई कर्मी आते हैं और ऊपर-ऊपर ही साफ कर चले जाते हैं. ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव नहीं होता. गंदगी से फैलती दुर्गंध लोगों के लिए समस्या बनी हुई है.
गीता देवी ने कहा कि सफाई कभी नहीं होती है. बारिश होने पर नालियों का पानी घर में चला आता है. कोई देखने वाला नहीं है. नगर-निगम की ओर से सफाई को लेकर कोई कार्य नहीं होता है.
उषा ग्राम न्यू घुसिक चटाई धौड़ा इलाके की महिलाएं रुक्मिणी देवी, मानुदेवी एवं नीलम देवी ने कहा एक महीने के अंतराल पर सफाई कर्मी आते हैं. तब यहां पर सफाई होती है. ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव इधर नहीं होता है. कभी-कभी सफाई कर्मी फॉगिंग करते हैं. नेता हमें पूछने नहीं आते हैं, सिर्फ वोट के टाइम ही हमलोगों को पूछा जाता है.
उषाग्राम विजयनगर इलाके के विमला शर्मा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से इलाके में रहती हैं, अब तक यहां नाली नहीं बनी. घर की पानी निकासी को लेकर समस्या है. कभी-कभी सफाई कर्मी आकर सफाई करते हैं. साफ जगहों पर झाड़ू फेर देते हैं. गंदी जगहों को वैसे ही छोड़ दिया जाता है.
पूनम साव का कहना है इलाके में नाली की व्यवस्था नहीं है. सफाई कर्मी इधर झांकने भी नहीं आते. कीटनाशक का भी छिड़काव नहीं होता. कूड़ेदान की व्यवस्था ना होने से कूड़ा खुली जगह में लोग फेंकते हैं. जिससे बदबू आती रहती है.
उषाग्राम भगतपाड़ा तरुणपल्ली रोड के रोशन कुमार नोनिया ने कहा कि निचले इलाकों में सफाई कर्मी महीना में एक बार आते हैं. यहां पर कूड़ेदान की व्यवस्था नहीं है. जिससे खाली जगह पर लोग यहां कूड़ा फेंकते हैं. जिससे अक्सर बदबू आती रहती है. इस तरफ फॉगिंग नहीं किया जाता है.
राजेश कुमार का कहना है सफाई कर्मी महीना में दो बार आते हैं परंतु सिर्फ नालियों की सफाई करते हैं. जहां पर कूड़े का अंबार लगा हुआ है. उस जगह की सफाई नहीं करते यहां पर 90 फीट का एक रास्ता है. जहां नाली नहीं बनाई गई है. कच्ची नाली से ही पानी गुजरता है.जिससे हमेशा दुर्गंध आती है. डस्टबिन की व्यवस्था भी नहीं है. पार्षद को खबर करने पर सफाई कर्मी आते हैं एवं ऊपर से ही साफ करके चले जाते हैं.
क्या कहते हैं पार्षद
वार्ड 39 के पार्षद सदी रायचौधरी ने कहा की वार्ड की जनसंख्या 21 हजार है. सफाई कर्मी सिर्फ 18 हैं. नालियों की रेगुलर सफाई की जाती है. स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सर्वे किया जाता है. महीने में चार कर्मी 16 दिन और दो कर्मी इलाकों में कीटनाशक का छिड़काव करते हैं. जहां भी सफाई की जाती है, वहां ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव होता है. सफाई की व्यवस्था और भी मजबूत करने के लिए उन्होंने कर्मियों की संख्या बढ़ाने की बात कही.
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