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हिंदी की तैयारी पूरी,नहीं मिला कोई छात्र

तत्कालीन बर्दवान यूनिवर्सिटी में हिंदी ऑनर्स की पढ़ाई सबसे पहले शुरू करने वाले टीडीबी कॉलेज को सारी तैयारियों के बाद भी इस चालू सत्र से हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने का मौका संभवत: नहीं मिलेगा. के एनयू में सक्रिय बर्दवान लॉबी हमेशा से शिक्षा के विकेंद्रीकरण का विरोधी रहा है. आसनसोल : काजी नजरूल […]

तत्कालीन बर्दवान यूनिवर्सिटी में हिंदी ऑनर्स की पढ़ाई सबसे पहले शुरू करने वाले टीडीबी कॉलेज को सारी तैयारियों के बाद भी इस चालू सत्र से हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने का मौका संभवत: नहीं मिलेगा. के एनयू में सक्रिय बर्दवान लॉबी हमेशा से शिक्षा के विकेंद्रीकरण का विरोधी रहा है.
आसनसोल : काजी नजरूल विश्वविद्यालय (केएनयू) प्रशासन ने वर्ष 2017 में अपने संबद्ध त्रिवेणी देवी भालोटिया (टीडीबी) कॉलेज, रानीगंज में हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए सेंटर खोलने की अनुमति दी है तथा इसके लिए 25 सीटें आवंटित की गयी है.
केएनयू में सक्रिय बर्दवान लॉबी के साजिश के तहत अभी तक इस कॉलेज को हिंदी में स्नातकोत्तर के लिए एक भी छात्र नहीं मिला है, जबकि अंग्रेजी तथा बंगाली में स्नातकोत्तर की पढ़ाई बीते 14 सितंबर से ही शुरू हो गयी है. इस सेंटर को छात्र आवंटित नहीं करने के पीछे बर्दवान लॉबी का तर्क शिक्षकों की कमी है. जबकि केएनयू का हिंदी विभाग स्वयं ही शिक्षकों का संकट ङोल रहा है.
टीडीबी कॉलेज में हिंदी का इतिहास
त्रिवेणी देवी भालोटिया (टीडीबी) कॉलेज की स्थापना वर्ष 1957 में हुयी थी. स्थापना के समय इसे कोलकाता यूनिवर्सिटी से संबद्धता हासिल थी. वर्ष 1960 में इसे बर्दवान यूनिवर्सिटी के तहत लाया गया. शिक्षण सत्र 1969-70 में इस कॉलेज में हिंदी में ऑनर्स की पढ़ाई शुरू हुयी. हिंदी विभाग के पहले शिक्षक के रूप में गजानंद मिश्र की नियुक्ति हुयी थी.
यह कॉलेद पहला था जिसमें बर्दवान यूनिवर्सिटी में हिंदी ऑनर्स की पढ़ाई शुरू हुयी थी. उस समय यूनिवर्सिटी के किसी भी कॉलेज में हिंदी के ऑनर्स की पढ़ाई को लेकर कोई सुगबुगाहट तक नहीं थी. इसके बाद से ही इस कॉलेज की पहचान हिंदी विषय के लिए हो गयी. इस समय इस कॉलेज में दो सत्रों – सुबह और दिन में पढ़ाई होती है. बीते 24 जून, 2015 को यह कॉलेज केएनयू के अधीन आ गया .
तीन विषयों में पहले से होती है स्नातकोत्तर की पढ़ाई
स्थापना के साठ साल पूरे होने के कारण इस कॉलेज की अपनी विशेष साख है. इसमें पहले से ही ऊदरू, बांग्ला तथा अंग्रेजी में स्नातक की पढ़ाई होती रही है. मेयर जितेन्द्र तिवारी के कॉलेज प्रशासक बनने के बाद हिंदी में भी स्नातकोत्तर की बढ़ाई की मंजूरी मिली तथा इसमें केएनयू के कुलपति डॉ साधन चक्रवर्ती ने निर्णायक भूमिका निभायी. उन्हें स्वयं इसमें दिलचस्पी ली तथा आवश्यक प्रक्रियायें पूरी की, इस कॉलेज में हिंदी ऑनर्स में 87 सीटे यूनिवर्सिटी से अनुमोदित हैं.
कॉलेज सूत्रों ने कहा कि चालू सत्र से हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने के लिए कॉलेज प्रशासन ने सारी तैयारियां पूरी कर रखी है. शिक्षकों के बीच सिलेबस वितरण से लेकर पुस्तकालय में पुस्तकों की व्यवस्था तक कर ली गयी है. लेकिन हिंदी मं अभी तक एक भी छात्र का नामांकन नहीं किया गया है.
नामांकन करने तथा काउंसलिंग करने की पूरी जिम्मेवारी यूनिवर्सिटी ने अपने हाथों में ले रखी है. इसके कारण कॉलेज को हिंदी के बारे में कोई आधिकारिक सूचना ही नहीं मिल रही है. बिडम्बना यह है कि इसी कॉलेज में बांग्ला तथा अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की कक्षाएं 14 सितंबर से ही शुरू हो गयी हैं.
शिक्षकों की कमी का तर्क बेमायने
सूत्रों ने कहा कि इस कॉलेज में हिंदी विभाग में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है. पूर्णकालिक तथा अंशकालिक शिक्षकों की संख्या आठ है. हालांकि सरकारी नियमों के अनुसार पूर्णकालिक तथा अंशकालिक शिक्षकों में कोई बुनियादी फर्क नहीं रह गया है. सिर्फ वेतन का अंतर रह गयी है. दोनों की सेवा अवधि 60 साल है तथा सिलेबस को लेकर भी कोई सीमा या मनाही नहीं है. कॉलेज में पांच पूर्णतालिक तथा तीन अंशकालिक शिक्षक है.
इनमें से दो ने केएनयू में गेस्ट टीचर के रूप में कक्षाएं भी ली है. इतनी संख्या में योग्य शिक्षकों के होने के बाद भी शिक्षकों की कमी के नाम पर छात्रों को आवंटित नहीं करने का क्या औचित्य है?कॉलेज के सेंटरों में शिक्षकों की कमी की दुहाई देनेवाली बर्दवान लॉबी यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में शिक्षकों की कमी को लेकर कभी चर्चा नहीं करती, क्योंकि उसे केएनयू के हित से कुछ लेना-देना ही नहीं है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमानुसार यूनिवर्सिटी में संचालित किसी भी विषय के विभाग में कम से कम सात शिक्षक होने चाहिए. इनमें एक प्रोफे सर तथा एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल है. नये विश्वविद्यालय के सीमिस संसाधनों के नाम पर केएनयू के हिंदी विभाग में शिक्षकों के मात्र चार पद ही स्वीकृत है.
इनमें से प्रोफेसर का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस पद पर नियुक्ति हो चुकी है. एसोसिएट प्रोफेसर पद अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित है. दो बार रिक्तियां निकालने के बाद भी इस पद पर शिक्षक नहीं मिला है. यह पद रिक्त है. असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए दो पद है. इनमें से एक सामान्य है तथा एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.
अनुसूचित जाति पद पर नियुक्ति हो चुकी है. सामान्य कोटे के लिए दो बार रिक्तियां निकाली गयी. पहली बार आवेदकों की संख्या अधिक होने के नाम पर साक्षात्कार ही नहीं लिये गये. दूसरी बार साक्षात्कार लिया गया तो उपर्युक्त व्यक्ति न पाने के नाम पर साक्षात्कार रद्द कर दिया गया. दो गेस्ट शिक्षक है. यानी ढ़ाई शिक्षकों की मदद से हिंदी विभाग चल रही है. हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ विजय भारती के पास यूनिवर्सिटी के डीन का भी अतिरिक्त प्रभार है.
केएनयू के टीएमसीपी महासचिव आदर्श शर्मा ने कहा कि हिंदी स्नातकोत्तर में दाखिला पूरा हो चूका है. अगस्त से कक्षाएं भी आरंभ हो चुकी हैं. जुलाई में ऑनलाइन आवेदनों की कम संख्या को देखते हुए एडमिशन पोर्टल को पुन: खोला गया था. उन्होंने कहा कि दाखिले के वेरिफिकेशन प्रक्रिया के समय स्टूडेंटसों को संस्थान चयन के लिए केएनयू, बीबी कॉलेज, टीडीबी कॉलेज के विकल्प दिये गये थे.
सभी ने केएनयू का ही चयन किया. नौ अक्तूबर को केएनयू के खुलने के बाद टीएमसीपी इसके सत्यापन की जांच करेगी. उन्होंने कहा कि केएनयू में पठन-पाठन के स्तर को बढ़ाने के लिए पूर्णकालिक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए केएनयू प्रबंधन से मांग की जायेगी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि दाखिला हो जाने के बाद बीबी कॉलेज एवं टीडीबी कॉलेज के हिंदी पीजी सेंटरों के लिए स्टूडेंटस भेजे जाने की कोई संभावना नहीं है

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