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दस हजार करोड़ का है सारधा घोटाला

कामयाब टीवी के सीएमडी और ओड़िशा भास्कर के मालिक गिरफ्तार कोलकाता/नयी दिल्ली. सारधा चिटफंड मामले की जांच कर रही सीबीआइ को दस हजार करोड़ रुपये के घोटाले के कागजात मिले हैं. सारधा समूह के लेखा विभाग के कामकाज में कई गड़बड़ियां मिली हैं. इसी के मद्देनजर केंद्रीय जांच एजेंसी ने सारधा समूह के साल्टलेक के […]

कामयाब टीवी के सीएमडी और ओड़िशा भास्कर के मालिक गिरफ्तार
कोलकाता/नयी दिल्ली. सारधा चिटफंड मामले की जांच कर रही सीबीआइ को दस हजार करोड़ रुपये के घोटाले के कागजात मिले हैं. सारधा समूह के लेखा विभाग के कामकाज में कई गड़बड़ियां मिली हैं. इसी के मद्देनजर केंद्रीय जांच एजेंसी ने सारधा समूह के साल्टलेक के मिडलैंड पार्क स्थित दफ्तर में काम कर चुके अकाउंट्स विभाग के चार कर्मियों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है.
सीबीआइ ने कंपनी के कर्मचारी कौशिक पहाड़ी, अजितेष बंदोपाध्याय, रंजीत लाल और संदीप घोष दस्तीदार को पूछताछ के लिए बुलाया है. उधर, नयी दिल्ली में देर रात सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि सारधा चिटफंड घोटाले में कामयाब टीवी के सीएमडी मनोज दास और ओड़िशा भास्कर अखबार के मालिक मधुसूदन मोहंती को गिरफ्तार किया गया है. इस बारे में विस्तृत विवरण नहीं मिल सका है. सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ को जांच के दौरान 10 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के सबूत मिले हैं. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक अकाउंट्स विभाग में गड़बड़ी किसके कहने पर की जाती थी. इसके लिए इन कर्मियों को निर्देश किससे मिलता था. इस बारे में पूछताछ की जायेगी है. सारधा घोटाले में गिरफ्तार पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार इन दिनों सीबीआइ हिरासत में है. शेष 9 पर
दस हजार करोड़ का..
इसके कारण अकाउंट्स विभाग के कर्मचारियों को रजत के सामने बैठा कर पूछताछ की तैयारी की जा रही है. अधिकारियों का मानना है कि एक साथ सभी को बैठा कर पूछताछकरने से कई कठिन सवालों के एक साथ जवाब मिल सकता है. सोमवार को आमने-सामने पूछताछ की जायेगी.
सीबीआइ के लिए परेशानी का सबब बने पूर्व डीजीपी
कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रजत मजूमदार सीबीआइ हिरासत में जांच एजेंसी के लिए परेशानी का सबब चुके हैं. सीबीआइ अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ में रजत जवाब देने के बजाय खुद सीबीआइ अधिकारियों से सवाल पर सवाल करत हैं. रजत ने सीबीआइ अधिकारियों पर ही उन्हें साजिश के तहत फंसाने का आरोप लगा दिया. पूर्व डीजीपी ने कहा कि ऐसा कौन सा सुबूत सीबीआइ के हाथ लग गया कि जिसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया.
ऐसी सुबूत किसने दिया जो उनके खिलाफ था. सीबीआइ अधिकारियों से रजत ने पूछा कि जांच एजेंसी की तहकीकात की सारी जानकारी मीडिया में कैसे आ रही है. मीडिया में जांच से संबंधित जानकारी लीक करने का हक उन्हें किसने दिया. जवाब में सीबीआइ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि उनके बारे में मीडिया को कोई जानकारी लीक नहीं की गयी है. सॉल्टलेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स से निकलते समय रजत ने मीडिया को धमकी भरे शब्दों में कहा कि अब वह मीडिया के खिलाफ उन्हें बदनाम करने को लेकर कानूनी कार्रवाई करेंगे.
चिटफंड कंपनियों पर लगाम लगायें राज्य: सेबी
कोलकाता. देश के कोने-कोने में जनता से धन निवेश जुटाने की अवैध योजनाओं के प्रसार के मद्देनजर प्रतिभूति बाजार नियामक (सेबी) ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ सबसे पहले अपने स्तर पर कार्रवाई करने की व्यवस्था करें. सेबी ने राज्य सरकारों से यह भी कहा है कि वे उसे भी कार्रवाई के लिए ‘शीघ्र सूचना देने की प्रणाली’ तैयार करें. पोंजी स्कीमों की समस्या से निपटने में राज्यों को पूरा सहयोग करने का वादा करते हुए सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकारों के पास जबरदस्त अधिकार हैं और यदि वे इनका बेहतर इस्तेमाल करें तो इस तरह की इकाइयों पर अंकुश लगा सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि राज्य की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आरोप लगाते रही हैं कि इन चिटफंड कंपनियों (सारधा व अन्य को) को मान्यता सेबी देता है. अत: यह सेबी की जिम्मेदारी है कि उन पर लगाम लगाये तथा उनके खिलाफ कार्रवाई करे. सिन्हा ने सभी राज्यों से राज्य जमा संरक्षण कानून पारित करने का अनुरोध किया, जिससे राज्य सरकारें अपने अधिकार क्षेत्र में अवैध रूप से जमा स्वीकारने वाली गतिविधियों में लिप्त इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकेंगी. यद्यपि कई राज्यों ने पहले ही यह कानून बना लिया है, कम से कम सात अन्य राज्यों को यह करना बाकी है.
उन्होंने बताया : हाल ही में, मुंबई में राज्य के मुख्य सचिवों, रिजर्व बैंक और सेबी के बीच अपनी तरह की पहली बैठक हुई. रिजर्व बैंक के गवर्नर और मैंने उनसे राज्य जमा संरक्षण कानून के तहत अवैध धन संग्रह स्कीमें चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया. उन्होंने इस मामले में राज्यों की सक्रिय भूमिका पर जोर देते हुए कहा ‘अगर बिहार या उत्तर प्रदेश के किसी जिले में कोई 1, 2 या 5 करोड़ रुपये जुटा रहा है तो हो सकता है उसकी जानकारी सेबी तक न पहुंचे. मेरे पर ऐसी जानकारी प्राप्त करने के साधन नहीं हैं पर स्थानीय प्रशासनिक आधिकारियों को इसकी जानकारी हो सकती है. हो सकता है ऐसे किसी छोटे समाचार पत्र में उसकी जानकारी प्रकाशित हुई हो जिसको हम न देख सके हों. सिन्हा ने कहा : मैं चाहता हू कि सुरक्षा का पहला घेरा राज्य सरकारों की तरह से होना चाहिए.

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