कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सारधा मामले की जांच जब शुरू की तो जांच के दौरान राज्य के कई प्रभावशाली नेताओं का नाम इस मामले में सामने आया है. इनमें से कई नेताओं को ईडी ने पूछताछ के लिए सम्मन जारी किया था, लेकिन कई नेता ईडी के सामने आये ही नहीं.
इस प्रवर्तन विभाग ने इन नेताओं के नाम की सूची को सीबीआइ को सौंपने का फैसला किया है और अब सीबीआइ ही इस मामले में सभी प्रभावशाली नेताओं से पूछताछ करेगी. जानकारी के अनुसार, सारधा चिटफंड कंपनी में घोटाले मामले के संबंध में जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में रिपोर्ट पेश करेगी. गौरतलब है कि सारधा कंपनी के मामले की जांच के लिए सीबीआइ ने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया है, जो कोलकाता व सिलीगुड़ी दोनों जगहों से जांच शुरू करेगी. इस संबंध में ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच के लिए कई प्रभावशाली नेताओं को बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आये. इसलिए अब इनके नाम की सूची सीबीआइ को सौंपी जायेगी और सीबीआइ अगर किसी को पूछताछ के लिए बुलाती है तो इसकी उपेक्षा करने की ताकत किसी के पास नहीं है.
इस तालिका में यहां के दो सांसद, कई मंत्री, बुद्धिजीवी, पत्रकार व पेंटर का नाम शामिल है. इसके साथ ही ईडी ने कुणाल घोष से पूछताछ के दौरान मिलते तथ्य व अन्य 70 लोगों से पूछताछ से मिली जानकारियों को सीबीआइ को सौंप दिया है.
फिलहाल मामला कुछ दबा-दबा सा है, लेकिन मतगणना खत्म होते ही सीबीआइ पूरी तरह से इस मामले की जांच में जुट जायेगी.इसके साथ ही सीबीआइ भी मामले की जांच शुरू करने से पहले सुदीप्त सेन द्वारा लिखे गये पत्र को महत्वपूर्ण मानते हुए जांच शुरू करेगी. इस संबंध में प्रवर्तन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सारधा कंपनी के रुपयों से किन-किन लोगों को लाभ हुआ है. इनके बारे में जानकारी एकत्रित करना ही उनकी जांच का प्रथम लक्ष्य है. जिससे लोगों को इस घोटाले की सच्चई का पता चल सके. इसके साथ ही कंपनी की सारी संपत्ति का पता लगा कर उसे जब्त भी की जायेगी.