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बोले मनु सिंघवी: चुनाव के बाद गंठबंधन के लिए कांग्रेस के विकल्प खुले धर्मनिरपेक्षता होगा आधार

कोलकाता: सांप्रदायिकता के खिलाफ कांग्रेस हमेशा ही खड़ी रही है. लोकसभा चुनाव के बाद यदि कांग्रेस किसी दल के साथ गंठबंधन करती है, तो उसका आधार भी धर्मनिरपेक्षता रहेगा. ये बातें कांग्रेस के आला नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहीं. उन्होंने शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इस मौके […]

कोलकाता: सांप्रदायिकता के खिलाफ कांग्रेस हमेशा ही खड़ी रही है. लोकसभा चुनाव के बाद यदि कांग्रेस किसी दल के साथ गंठबंधन करती है, तो उसका आधार भी धर्मनिरपेक्षता रहेगा. ये बातें कांग्रेस के आला नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहीं. उन्होंने शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इस मौके पर केंद्रीय रेल राज्य मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी सहित अन्य नेता मौजूद रहे.

चुनाव बाद स्थिति के अनुरूप कदम बढ़ायेगी कांग्रेस
अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पष्ट किया कि चुनाव के बाद की परिस्थितियों में आवश्यक होने पर पार्टी धर्मनिरपेक्षता और समेकित विकास के दायरे में संभावित सहयोगियों को तलाश सकती है. कांग्रेस हमेशा जीतने के लिए लड़ती है और अपनी ताकत के बल पर लड़ती है. हालांकि, चुनाव के बाद की परिस्थितियां तो आंकड़े तय करेंगे.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान पर कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं बहुत कम हैं और कांग्रेस के तीसरे मोरचे के साथ हाथ मिला कर फिर से सत्ता में आने के प्रश्न पर सिंघवी ने कहा : आवश्यकता होने पर पार्टी विचार कर सकती है, लेकिन गंठबंधन सिर्फ धर्मनिरपेक्षता व समेकित विकास के कांग्रेस के सिद्धांत के दायरे में रहते हुए किया जा सकता है. उनका कहना है कि सिद्धांत हमेशा बने रहते हैं और वे महज राजनीतिक अनिवार्यताओं के कारण नहीं बदलते.

कांग्रेस के फिर से तृणमूल कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के संबंध में सिंघवी ने कहा कि इसका जवाब मैं पहले ही सवाल में दे चुका हूं. सीबीआइ और केंद्रीय सतर्कता आयोग के विशेष निदेशक की नियुक्ति पर उपजे विवाद के बारे में उन्होंने कहा : सामान्य प्रशासन नहीं रुकना चाहिए. कौन-सा कानून कहता है कि छह महीने से चल रही प्रक्रिया के तहत रुटीन के अनुसार सामान्य नियुक्तियां और पदोन्नति नहीं हो सकती है? यदि भाजपा नेता इतने ही चिंतित हैं, तो उन्हें चुनाव आयोग जाने दें. मुङो नहीं लगता कि उन्हें ऐसी भावना फैलाने की जरूरत है कि इस संप्रग सरकार को अपना बोरिया-बिस्तर बांध लेना चाहिए और सामान्य प्रशासनिक कामकाज भी नहीं होना चाहिए.

प्रियंका की सीमाएं तय
प्रियंका गांधी को चुनाव प्रचार में और ज्यादा भागीदारी करने के सवाल पर सिंघवी ने कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि प्रियंका राजनीति में हैं और उनकी सीमाएं तय हैं. वह अपनी मां व भाई के संसदीय क्षेत्रों का प्रबंधन करती हैं. पूरी पार्टी इसे लेकर बहुत उत्सुक है कि उन्हें हर चुनाव में और ज्यादा प्रचार करना चाहिए.

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