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Ayodhya Airport: अयोध्या एयरपोर्ट 20 महीने में बनकर हुआ तैयार, यहां आने वाले श्रद्धालुओं में होगा इजाफा

अयोध्‍या एयरपोर्ट का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया. इस एयरपोर्ट को 20 महीने के रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अयोध्या एयरपोर्ट के लिए 821 एकड़ भूमि मुहैया कराई गई. अयोध्या में कनेक्टिविटी बेहतर होने से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं का आवाजाही बढ़ेगी.

पीएम मोदी (PM Modi) ने शनिवार को अयोध्‍या (Ayodhya) में महर्षि वाल्मिकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Maharishi Valmiki International Airport) उद्घाटन किया. अब अयोध्या शहर एयर कनेक्टिविटी के जरिये देश-विदेश से जुड़ गया है. भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण (AAI) के अध्यक्ष संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) ने बताया कि इसे 20 महीने के रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) के साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India) ने पिछले साल अप्रैल में एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किया था. इसके अनुसार ही अयोध्या एयरपोर्ट को तैयार किया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अयोध्या एयरपोर्ट के लिए 821 एकड़ भूमि मुहैया कराई गई. संजीव कुमार ने आगे कहा कि अयोध्या के लिए एयर कनेक्टिविटी जरूरी है और एयरपोर्ट प्राधिकरण इस विस्तार से खुश है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में कनेक्टिविटी बेहतर होने से अधिक संख्या में पैसेंजर्स का आवाजाही बढ़ेगा. हम एयरपोर्ट अथॉरिटी में इस विस्तार को लेकर बेहद उत्साहित हैं. मेरा मानना है कि अयोध्या के लोग भी खुश हैं. पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया है. अयोध्या एयरपोर्ट के बनने से श्री राम मंदिर के आसपास के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों (राम की पैड़ी, हनुमान गढ़ी, नागेश्वर नाथ मंदिर और बिड़ला मंदिर) पर भी आवागमन बढ़ेगा. अयोध्या की ओर आने वाले तीर्थयात्रियों को इस एयर कनेक्टिविटी का लाभ उठाएंगे.

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भविष्य में यह है प्लान

एयरपोर्ट प्राधिकरण के अध्यक्ष ने नवनिर्मित हवाईअड्डे पर टर्मिनल के विस्तार की संभावना की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा कि अब हवाई मार्ग से भी अयोध्या पहुंचा जा सकेगा. अभी बनाया गया टर्मिनल छोटा है मगर भविष्य में इसका विस्तार किया जाएगा. बता दें कि यह एयरपोर्ट मुख्य अयोध्या शहर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. उसमें आधुनिक निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. उसे अयोध्या स्टेशन के नए भवन की भांति ही पारंपरिक स्वरूप प्रदान किया गया है. इसका मुख्य द्वार भी इसी तरह बनाया गया है. अयोध्या एयरपोर्ट का पहला चरण 1,450 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से विकसित किया गया है. एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन का क्षेत्रफल 6,500 वर्गमीटर है, जो सालाना लगभग 10 लाख यात्रियों की सेवा करने के लिए तैयार है.

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यहां जानें उन महर्षि के बारे में जिनके नाम पर बना एयरपोर्ट

बता दें कि महर्षि वाल्मिकी ने आदि काव्य रामायण की रचना की थी. रामायण में भगवान राम के जीवन की कहानी को विस्तार से बताया गया है. पौराणिक कथाओं में जिक्र होता है कि महर्षि वाल्मिकी का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण (प्रचेता) से हुआ था. वाल्मिकी के भाई का नाम भृगु था. वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी ही वाल्मिकी के माता-पिता थे लेकिन भील जाति के लोग बचपन में ही वाल्मिकी को चुराकर ले गए थे, इसलिए उनका पालन पोषण भील समाज में हुआ. वाल्मिकी के बचपन का नाम रत्नाकर था और वह एक डाकू थे, जो जंगल से गुजरने वाले लोगों से लूट-पाट करते थे. एक बार नारद मुनि जंगल से गुजर रहे थे. तभी रत्नाकर ने लूट-पाट के लिए उन्हें रोक लिया था. नारद ने रत्नाकर से पूछा कि तुम ये पाप क्यों करते हो, तो रत्नाकर ने जवाब दिया था कि वह अपने परिवार के पालन पोषण के लिए ये काम करते हैं. रत्नाकर की बात सुनकर नारद ने कहा था कि अपने परिवार से पूछकर आओ कि क्या वह तुम्हारे पाप में भागी बनेंगे. जब रत्नाकर परिवार से पूछने गए तो उनके परिवार ने साफ मना कर दिया और कहा कि वह उनके पाप में भागी नहीं बनेंगे. इसके बाद रत्नाकर ने गलत रास्ते को छोड़ दिया. रत्नाकर एक बार ध्यान की अवस्था में बैठे थे. वह ध्यान में इतना मग्न हो गए कि दीमकों ने उनके शरीर में अपना घर बना लिया. इसके बाद से रत्नाकर का नाम वाल्मिकी पड़ा.

महर्षि वाल्मिकी थे इस जाति के

वाल्मिकी समुदाय दलित जाति से आता है. ऐसे में जब महर्षि वाल्मिकी का जिक्र होता है तो लोग उन्हें भी दलित जाति से संबंधित मानते हैं. हालांकि महर्षि वाल्मिकी की जाति को लेकर तमाम तरह के मतभेद सामने आते हैं. कथाओं में उन्हें ब्राह्मण पुत्र बताया गया है, जिसके अनुसार महर्षि वाल्मिकी ब्राह्मण थे. हालांकि कहीं-कहीं पर उन्हें दलित समुदाय का बताया गया है. जिस कथा के आधार पर महर्षि वाल्मिकी को ब्राह्मण माना जाता है, उसके अनुसार उन्होंने ऋषि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण (प्रचेता) और उनकी पत्नी चर्षणी से जन्म लिया था. फिर भी तमाम बुद्धिजीवी इस बात को लेकर मतभेद जताते हैं. उनका तर्क है कि महर्षि वाल्मिकी की जाति के बारे में निश्चित तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है.

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