28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कभी मायावती के बेहद करीबी रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से निष्कासित

लखनऊ : कभी बसपा मुखिया मायावती का दाहिना हाथ कहे जानेवाले पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल को ‘भ्रष्टाचार’ तथा ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ में संलिप्तता के आरोप में बुधवार को पार्टी से निकाल दिया गया. नसीमुद्दीन ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत और मनगढ़ंत करार देते हुए कहा कि जो लोग उन […]

लखनऊ : कभी बसपा मुखिया मायावती का दाहिना हाथ कहे जानेवाले पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल को ‘भ्रष्टाचार’ तथा ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ में संलिप्तता के आरोप में बुधवार को पार्टी से निकाल दिया गया. नसीमुद्दीन ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत और मनगढ़ंत करार देते हुए कहा कि जो लोग उन पर इल्जाम लगा रहे हैं, वे दरअसल खुद उन्हीं आरोपों से घिरे हैं. उन्होंने आगाह किया कि वह ‘मायावती एंड कंपनी’ पर इन इल्जामात को प्रमाण के साथ साबित कर देंगे.

बसपा महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नसीमुद्दीन ने चुनाव के दौरान लोगों से धन लिया. पार्टी की जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया. पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे और इन आरोपों पर पक्ष जानने के लिए बार-बार बुलाने पर भी नहीं आये. मिश्र ने कहा कि पार्टी के कुछ जिम्मेदार लोगों से मालूम हुआ कि वह अनेक बूचड़खानों में कारोबारी साझीदार हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी नसीमुद्दीन की काफी बेनामी संपत्तियां हैं. उन्हें इस बारे में जानकारी लेने के लिए मंगलवारको बुलाया गया था, लेकिन वह अपनी कमजोरी छिपाने के लिए टेलीफोन पर इधर-उधर की बातें करते रहे. उन्होंने कहा कि बसपा में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं है, लिहाजा नसीमुद्दीन और उनके बेटे अफजल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.

नसीमुद्दीन ने अपने खिलाफ हुई कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन पर लगे आरोप झूठे और निराधार हैं. आरोप लगानेवाले लोग खुद इन्हीं इल्जामात से घिरे हैं, वह ‘मायावती एंड कंपनी’ पर इस बात को प्रमाणों के साथ साबित कर सकते हैं. पिछले कई चुनावों में बसपा की हार के बाद उन्हें मानसिक रूप से ‘टार्चर’ किया गया. पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उनका निष्कासन बसपा के लिए दी गयी तमाम कुरबानियों का प्रतिफल है. इन बलिदानों में वर्ष 1996 में मायावती को चुनाव में नुकसान ना होने देने के लिए अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में शामिल ना होने की कुरबानी भी शामिल है.

बसपा का मुसलिम चेहरा कहे जानेवाले नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव, 2012 के विधानसभा चुनाव और हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जब मायावती की गलत नीतियों के कारण पार्टी की करारी हार हुई तो उन्होंने मुसलमानों पर झूठे आरोप लगाये और अपशब्द कहे. मायावती, उनके भाई आनंद कुमार और पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने अवैध रूप से, मानवता से परे अनेक मांगें कीं, जिन्हें पूरा करने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया गया. नसीमुद्दीन ने दावा किया कि उनके पास इसके पुख्ता प्रमाण हैं. वह गुरुवार को प्रेस के माध्यम से ‘मायावती एंड कंपनी’ के आरोपों का जवाब देंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें