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सहारनपुर कांड : सपा ने की न्यायिक जांच और आरोपी सांसद-विधायक की गिरफ्तारी की मांग

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) ने हाल में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक जुलूस निकाले जाने को लेकर दो समुदायों के बीच हुए टकराव के पीछे भाजपा के स्थानीय सांसद समेत अनेक पदाधिकारियों के शामिल होने का आरोप लगाते हुए आज इस घटना की न्यायिक जांच तथा आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. […]

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) ने हाल में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक जुलूस निकाले जाने को लेकर दो समुदायों के बीच हुए टकराव के पीछे भाजपा के स्थानीय सांसद समेत अनेक पदाधिकारियों के शामिल होने का आरोप लगाते हुए आज इस घटना की न्यायिक जांच तथा आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सहारनपुर के सड़क दुधौली गांव में गत 20 अप्रैल को शोभायात्रा निकालने को लेकर दो समुदायों में हुए संघर्ष की न्यायिक जांच की जानी चाहिये और इसमें शामिल आरोपियों की गिरफ्तारी होनी चाहिये.

उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर जीरो टालरेंस की बात करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार के लिये यह एक परीक्षा भी होगी कि वह इस फिरकावाराना वारदात को भड़काने वाले सहारनपुर से भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा, देवबंद के विधायक कुंवर बिजेन्द्र सिंह, भाजपा के महानगर अध्यक्ष अमित गगनेजा, पूर्व अध्यक्ष तथा अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी कब करती है.

सपा द्वारा सहारनपुर काण्ड की जांच के लिये भेजे गये पांच सदस्यीय तथ्यान्वेषी दल में शामिल पूर्व मंत्री महबूब अली ने कहा कि प्रशासन ने सड़क दुधौली गांव में शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी थी, मगर इसके बावजूद सांसद, विधायक तथा अन्य भाजपा नेताओं ने जुलूस निकालने की कोशिश की. जब प्रशासन ने ट्रैक्टर-ट्राली खड़ी करके रास्ता रोकने की कोशिश की तो पथराव किया गया, जिसमें अधिकारियों समेत बड़ी संख्या में लोग चोटिल हुए.

उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार है जब किसी जिले के पुलिस अधीक्षक के घर में घुसकर तोड़फोड़ की गयी और उस पुलिस अफसर ने तबेले में छुपकर अपनी जान बचायी. जांच दल में शामिल सहारनपुर सदर सीट से सपा विधायक संजय गर्ग ने बताया कि जो केसरिया दुपट्टा आस्था का प्रतीक था, आज वह गुंडई का प्रतीक बन गया है.

उन्होंने कहा कि सडक दुधौली गांव में जिस तरह खुलेआम राहगीरों को धर्म पूछकर निशाना बनाया गया, दुकानों को लूटा गया, वाहनों को जलाया गया, उससे साफ है कि राजनीतिक लाभ लेने के लिये बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का इस्तेमाल करके राजनीतिक लाभ के लिये ध्रुवीकरण की कोशिश की गयी. मालूम हो कि सपा ने सहारनपुर काण्ड की जांच के लिये पूर्वमंत्री महबूब अली, मूलचंद चौहान, मनोज पारस, पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद तथा विधायक संजय गर्ग की टीम बनायी थी, जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है.

अखिलेश ने भाजपा नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये लोग जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह लोकतंत्र के लिये खतरनाक तस्वीर पेश करती है. भविष्य में आप (मीडिया) भी यह महसूस करेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा ने पहली बार कोई दंगा नहीं भड़काया है. वह पहले भी ऐसा करते रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि विकास कराने के बजाय इन तरीकों से चुनाव जीतना आसान होगा.

पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार जिस तरह पुलिस और प्रशासन का मनोबल गिरा रही है, उससे प्रदेश आगे नहीं जाएगा, बल्कि पिछड़ेगा. छत्तीसगढ के सुकमा में नक्सलवादियों द्वारा 25 जवानों की हत्या किये जाने की घटना को बेहद दुखद बताते हुए उन्होंने सवाल किया कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार कहती थी कि नोटबंदी से नक्सलवाद खत्म हो जायेगा. अब नक्सलवादियों के पास धन कहां से आ रहा है. सरकारों को नक्सलवादियों के संसाधनों का पता लगाने के लिये एक ‘रोडमैप’ बनाना चाहिये.

अखिलेश ने कहा कि बातचीत का रास्ता खुला रहे, मगर सख्ती का रास्ता भी बंद नहीं होना चाहिये. महागठबंधन के सवाल पर सपा अध्यक्ष ने कहा कि अभी उनका लक्ष्य सपा को मजबूत करना है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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