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बागी शिवपाल पर एक्शन नहीं लेगी सपा, चाचा को “शहीद” करने के मूड में नहीं हैं अखिलेश

-हरीश तिवारी- लखनऊ : समाजवादी पार्टी के आधार रहे शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) बना ली है, उनके बागी हो जाने के बाद भी समाजवादी पार्टी उनके खिलाफ कोई एक्शन लेने के मूड में नहीं है. सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर शिवपाल के खिलाफ कोई भी कार्रवाई की […]

-हरीश तिवारी-

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के आधार रहे शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) बना ली है, उनके बागी हो जाने के बाद भी समाजवादी पार्टी उनके खिलाफ कोई एक्शन लेने के मूड में नहीं है. सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर शिवपाल के खिलाफ कोई भी कार्रवाई की गयी, तो वह अपने आप को शहीद घोषित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगे. ऐसे में जबकि पार्टी शिवपाल यादव के खिलाफ निष्कासन जैसी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, वे विधानसभा में सपा के सदस्य होने के बावजूद सपा के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव सपा के टिकट पर इटावा की जसवंतनगर विधानसभा से विधायक चुने गए थे. लेकिन पिछले दो साल से रिश्ते खराब होने के बाद अब शिवपाल सिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के नाम से पार्टी का गठन किया है. जिसमें सपा से नाराज नेताओं को शामिल किया गया है. इस पार्टी को मजबूत करने के लिए शिवपाल पूरे प्रदेश में दौरा कर रहे हैं और सपा से नाराज नेताओं को एकजुट कर अपनी पार्टी से जोड़ रहे हैं. हालांकि सपा का आरोप है कि शिवपाल भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं. बहरहाल शिवपाल यादव ने पहले समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन किया और अब अपनी राजनीतिक पार्टी भी पंजीकृत करा ली है.

शिवपाल यादव ही इसके मुखिया होंगे. हालांकि पार्टी के गठन के बाद ऐसा माना जा रहा था कि सपा शिवपाल पर निष्कासन जैसी कोई कार्रवाई करेगी.लेकिन पार्टी फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है.असल में सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि शिवपाल को पार्टी से निष्कासित करने के बाद शिवपाल अपने आपको शहीद घोषित करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं को यह मैसेज देने की कोशिश करेंगे कि उनके साथ अन्याय हो रहा है और ऐसे में पार्टी के भीतर नेताओं में नेतृत्व को लेकर नाराजगी बढ़ सकती है.

इसके साथ ही अगर उपचुनाव होने के बाद जसवंतनगर सीट पर सपा को नुकसान होता है तो इसका सीधा नुकसान सपा को होगा. क्योंकि भाजपा इस चुनाव में अपने किसी कमजोर प्रत्याशी को खड़ा करेगा. जिसके कारण शिवपाल के जीतने की संभावना प्रबल हो जाएगी. फिलहाल पार्टी ने अपनी रणनीति के मुताबिक अब तक उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए कोई प्रार्थनापत्र विधानसभा अध्यक्ष को नहीं दिया है. लेकिन अगर विधानसभा खुद संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई करती है तो सपा उसका विरोध भी नहीं करेगी.

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