लखनऊ : प्रदेश सरकार ने प्रदेश के विधायकों की विधायक निधि में इजाफा किया है. अब सरकार ने विधान मंडल क्षेत्र विकास निधि के मार्गदर्शी सिद्धांतों में संशोधन कर दिया है. अब विधायकों को 1.50 करोड़ के बजाय 2.40 करोड़ रुपये दिये जाएंगे. सदस्य की संस्तुति पर सम्बंधित मुख्य विकास अधिकारी प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान दो करोड़ रुपये तक के कार्यों को स्वीकृत करेंगे. अवशेष 40 लाख रुपये की धनराशि से निर्माण कार्यों पर लगने वाले जीएसटी की प्रतिपूर्ति प्रत्येक तिमाही में की जाएगी.
असल में दो महीने पहले कैबिनेट में इस बारे में प्रस्ताव पारित किया था. लेकिन इसके लिए शासनादेस जारी नहीं किया था. लिहाजा अब प्रदेश सरकार ने सभी मुख्य विकास अधिकारियों को इस सम्बन्ध में दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं. क्षेत्र विकास निधि के अन्तर्गत हर साल 2.40 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा जिसमें जीएसटी की धनराशि भी सम्मिलित है. हालांकि किसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधान सभा व विधान परिषद सदस्य बदल सकते है लेकिन आवंटन निर्वाचन क्षेत्र के लिए होता है इसलिए इस योजना के अन्तर्गत निर्माणाधीन कायरे पर कार्रवाई निरन्तर जारी रखनी जाएगी.
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नये नियमों के अनुसार डीएम व सीडीओ द्वारा जिला योजना में तैयार किये गये कार्यों की सूची विधान मंडल सदस्यों को उपलब्ध करायी जाएगी ताकि जिला योजना में चिह्नित कायरे में से जो कार्य विधान मंडल क्षेत्र विकास निधि योजना के अन्तर्गत कराये जा सकते हैं उन कायरे को कराने के लिए धनराशि सम्बन्धित सदस्य की अनुशंसा के उपरान्त उपलब्ध करायी जा सके. योजना के अन्तर्गत विधान मंडल के सदस्यों की संस्तुति पर कराये जाने वाले निर्माण कायरे पर लगने वाले जीएसटी का भुगतान क्षेत्र के विकास कायरे के लिए प्रतिवर्ष उपलब्ध होने वाली धनराशि 2.40 करोड़ रुपये से ही प्रत्येक तिमाही में की जाएगी.
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दरअसल, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में विधायक निधि पहले से ही दो करोड़ थी, लिहाजा यूपी के विधायक प्रदेश में इसे बढ़ाने की मांग कर रहे थे. लेकिन इस साल बजट के बाद विधायकों की इस मांग को देखते हुए यूपी सरकार ने विधायकों की निधि को बढ़ाने का फैसला किया था.