लखनऊ : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में छाये खतरनाक धुंध (स्मॉग) को लेकर व्याप्त चिंताओं के बीच राष्ट्रीय किसान मंच ने खेतों में फसलों के अवशेष जलाये जाने के प्रदूषणकारी चलन पर रोक के लिये उत्तर प्रदेश सरकार से ठोस समाधान निकालने का आग्रह किया है.
मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने बताया कि खेतों से फसलों के अवशेष हटाये बगैर दूसरी फसल की बोआई सम्भव नहीं है. फसलों के अवशेष जलाये जाने की समस्या से निपटने के लिये दीर्घकालिक रणनीति तथा किफायती समाधान की जरुरत पर जोर देते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि फसलों की ठूंठ जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान और इस समस्या के समाधान के उपाय के बारे में किसानों को बताया जाना चाहिए. उन्हें ऐसे उपकरणों की जानकारी भी देनी चाहिए जिनसे ठूंठ को आसानी से बाहर निकाला जा सके.
मालूम हो कि पिछले करीब एक पखवाडे से दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में धुंध छा रही है. किसानों द्वारा अपने खेतों में फसलों के अवशेष जलाये जाने को इसका बड़ा कारण माना जा रहा है.प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खेतों में ठूंठ ना जलाने के प्रति किसानों को जागरुक करने के लिये कुछ दिन पहले सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये थे.
बढ़ते प्रदूषण का एक बड़ा कारण खेतों में जलायी जलाने वाली पराली मानी जा रही है. इस धुंध से स्मॉग बनता है. अब इसी पराली से बिजली बनाने की योजना है. इससे सरकार न सिर्फ प्रदूषण पर रोक लगेगी बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी. कोयले में 10 फीसदी पराली मिलाई जाएगी. बिजली प्लांट में ईंधन के रूप में इस्तेमाल होगा. किसानों से 5500 रुपए प्रति टन की कीमत पर पराली खरीदी जायेगी. एक एकड़ में दो टन तक पराली निकलती है. इससे किसानों को प्रति एकड़ 11 हजार रुपए तक की आय होगी.