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UP Nikay Chunav: ब्राह्मणों का रुख तय करेगा कानपुर का अगला मेयर, इरफान की पत्नी-मां ने संभाली प्रचार की कमान

कानपुर में महापौर की कुर्सी पर कौन बैठेगा यह सब लोग जानना चाहते हैं. इस बार नगर निगम के चुनाव में मतदाताओं की संख्या 22.17 लाख हैं. और यहां पर अकेले ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 6 लाख से अधिक है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि ब्राह्मण मतदाता जिसके पक्ष में वोट करेगा, जीत लगभग उसी की तय मानी जाएगी.

Kanpur : यूपी के कानपुर में महापौर की कुर्सी पर कौन बैठेगा यह सब लोग जानना चाहते हैं. इस बार नगर निगम के चुनाव में मतदाताओं की संख्या 22.17 लाख है. और यहां पर अकेले ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 6 लाख से अधिक है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि ब्राह्मण मतदाता जिसके पक्ष में वोट करेगा, जीत लगभग उसी की तय मानी जाएगी. कानपुर नगर निगम जब से बना है तब से अभी 5 मेयर में 4 ब्राह्मण बिरादरी से रहे हैं. ऐसे में शुरू से ही नगर निगम चुनाव में ब्राह्मण मतदाताओं का दबदबा रहा है.

महापौर में तीन प्रत्याशी ब्राह्मण

कानपुर में अबकी बार महापौर के चुनाव में मतदाताओं को लेकर काफ़ी खीचतान बनी हुई है. इस बार प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा, सपा और कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में उतारे गए तीनों महापौर प्रत्याशी ब्राह्मण बिरादरी से हैं. भाजपा में लगातार दूसरी बार प्रमिला पांडेय को टिकट दिया है. इसी तरह समाजवादी पार्टी ने इस बार वंदना वाजपेयी पर दांव लगाया है, पिछली दफा सपा ने पिछड़ी जाति के प्रत्याशी को उतारा था. कांग्रेस ने आशनी अवस्थी के रूप में लगातार दूसरी बार ब्राह्मण पर भरोसा जताया है.

वोटरों पर खीचतान

इस बार के चुनाव में जो परिस्थितियां दिख रही हैं. उसमें भाजपा, समाजवादी पार्टी को अपना प्रतिद्वंद्वी मानकर चल रही है. इसी को लेकर राजनीतिक दलों में ब्राह्मण मतदाताओं को लेकर खीचतान बनी हुई है. इस बार ब्राह्मण मतदाताओं में यह तय नहीं हो पाया है कि उनका रुझान किस तरफ है. यह भी दिख रहा है कि महानगर के ब्राह्मणों में पार्टी से अलग एक दूसरे के यहां रिश्तेदारी होने से भी प्रत्याशी के हिसाब से मत मिलने की शंका जाहिर की जा रही है.

अबकी बार एक तरफा जीत का दावा नहीं

कानपुर के निकाय चुनाव में यदि ब्राह्मण वोट बैंक में बटवारा होता है, तो इसका सीधा नुकसान बीजेपी को होता दिख रहा है. वहीं, कानपुर के मुस्लिम वोट बैंक में कांग्रेस और सपा की नजर है. इसके साथ ही तीनों प्रमुख दल ओबीसी और एससी वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटे हुए हैं. जिसकी वजह से कानपुर का मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प हो गया है, कोई भी पार्टी एक तरफा जीत का दावा नहीं कर रही है.

वहीं बीजेपी अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी सपा को मान रही है. मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए सपा विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी और मां का सहारा ले रही है. इरफान पर की गई कानूनी कार्रवाई से मुस्लिम वोटरों में नाराजगी है. इरफान की सहानभूति का फायदा सपा को मिलता हुआ दिख रहा है. विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी और मां ने सपा के प्रचार की कमान संभाल ली हैं.

रिपोर्ट-आयुष तिवारी

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