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Friday, March 29, 2024

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बेहमई हत्याकांड में शामिल डकैत पोसा की बिगड़ी हालत, जिला अस्पताल से हैलट रेफर…

कानपुर देहात के जिला अस्पताल में भर्ती बेहमई हत्याकांड के आरोपी डकैत पोसा की हालत और ज्यादा गंभीर हो गई है. जिस पर डॉक्टर ने उसे हैलट अस्पताल रेफर कर दिया है. आरोपी को कड़ी सुरक्षा के साथ एंबुलेंस से हैलट अस्पताल ले जाया गया है.

कानपुर . उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के जिला अस्पताल में भर्ती बेहमई हत्याकांड के आरोपी डकैत पोसा की हालत और ज्यादा गंभीर हो गई है. जिस पर डॉक्टर ने उसे हैलट अस्पताल रेफर कर दिया है. आरोपी को कड़ी सुरक्षा के साथ एंबुलेंस से हैलट अस्पताल ले जाया गया है. 14 फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने गिरोह के साथ बेहमई गांव में निहत्थे लोगों को एक कतार में खड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया था. जिसमें 20 निहत्थे लोग मारे गए थे. जबकि 2 लोग घायल हुए थे. घटना में फूलन देवी समेत 35 डकैतों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी. मामले में आरोपी डकैत पोसा लंबे समय से जेल में बंद चल रहा है.

जमानतदार न मिलने से नहीं हुई जमानत

डकैत पोसा की रिहाई के लिए जमानतदार न मिलने के कारण आज तक उसकी जमानत नहीं हो सकी है. करीब 75 वर्ष से अधिक उम्र वृद्धावस्था के कारण पोसा बीमार चल रहा था. बीते सोमवार को उसकी माती जिला कारागार में हालात बिगड़ गई थी. जेल अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था. जहां उसे भर्ती कर उपचार किया जा रहा था. गुरुवार की शाम को आरोपी पोसा की हालत ज्यादा बिगड़ गई. जिस पर डाक्टर आराधना ने उसे देर रात कानपुर हैलट अस्पताल रेफर कर दिया.

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बेहमई हत्याकांड में शामिल डकैत पोसा की बिगड़ी हालत, जिला अस्पताल से हैलट रेफर... 2
घायलों ने आरोपितों की नहीं की थी शिनाख्त

बेहमई हत्याकांड के मामले में स्पेशल जज एंटी डकैती कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने वादी के घायल नहीं होने और उनकी मौके पर मौजूदगी पर जहां सवाल उठाया तो वहीं घायल गवाहों पर आरोपितों की शिनाख्त नहीं करने का उल्लेख किया. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए अब 27 मार्च की तारीख तय की है. राजपुर थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में दस्यु फूलन देवी गिरोह द्वारा 20 लोगों की हत्या के मामले में अब स्पेशल जज बाकर शमीम रिजवी की कोर्ट में बहस हो रही है. बचाव पक्ष के वकील गिरीश नारायण दुबे ने कोर्ट में बताया कि वादी राजराम सिंह ने खुद को मौके पर मौजूद होना बताया था, जबकि ताबड़तोड़ गोलियां चलने पर वह घायल नहीं हुए. रिपोर्ट लिखाने में वह मृतकों के नाम भी नहीं बता सके थे. घायल वकील सिंह व जंटर सिंह पर आरोपितों के नाम बताने को भी संदिग्ध बताया.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी

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