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वाराणसी : गंगा में साबुन लगाकर नहाना और कचरा फेंकना पड़ सकता है भारी, प्रशासन ने उठाये ये कदम

नये नियमों के अनुसार अब गंगा आरती से लेकर घाट पर पूजा अनुष्ठान कराने वाले पंडों को टैक्स देना पड़ेगा. वहीं, गंगा नदी में साबुन लगाकर नहाने पर पांच सौ रुपये जुर्माना लगेगा.

पटना : उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी की पहचान घाटों से है. हर दिन वाराणसी के घाटों पर पूजा पाठ, अनुष्ठान के साथ गंगा आरती और अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन होते हैं. गंगा किनारे होने वाले इन आयोजनों पर अब नगर निगम टैक्स वसूलेगा. लेकिन, नये नियमों के अनुसार अब गंगा आरती से लेकर घाट पर पूजा अनुष्ठान कराने वाले पंडों को टैक्स देना पड़ेगा. वहीं, गंगा नदी में साबुन लगाकर नहाने पर पांच सौ रुपये जुर्माना लगेगा. समाजवादी पार्टी ने इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है.नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि घाटों के रखरखाव के लिए अब गंगा घाट पर आयोजनों पर शुल्क लिया जा रहा है.

आरती के आयोजकों को सालाना 5000 हजार तक का शुल्क देना होगा जबकि घाट के पंडों को 100 रुपया सालाना देना होगा. ठीक ऐसे ही वरुणा किनारे होने वाले आयोजनों पर भी शुल्क लगेगा. अपर नगर आयुक्त देवी दयाल वर्मा के मुताबिक रखरखाव को और बेहतर करने में शुल्क की व्यवस्था की गयी है. ये बहुत ही नॉमिनल शुल्क है. इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होगी.

घाटों पर ये लगेंगे चार्ज

सांस्कृतिक आयोजन पर 4000, धार्मिक आयोजन के लिए 500 रुपये प्रतिदिन व 200 रुपये लगेगा. इसके अलावा यदि कोई सामाजिक आयोजन (संस्था द्वारा) शुल्क देना होगा. वहीं एक साल तक कोई आयोजन लगातार होगा तो 5000 वार्षिक शुल्क देना होगा. वहीं साबुन लगाकर कोई नहाते मिलेगा तो 500 रुपये,कचरा फेंकने पर 2100 रुपये जुर्माना वसूला जायेगा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के जल निकासी पर 50 हजार से 20 हजार रुपये तक का शुल्क है.

सपा ने शुरू किया विरोध

प्रशासन के इस फैसले को लेकर काशी में विरोध शुरू हो गया है. सपा महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा ने कहा धार्मिक आयोजन पर शुल्क बिल्कुल भी उचित नहीं है. पार्षद अवनीश यादव ने बताया कि हमारी संस्कृति घाटों से जुड़ी है. पूजा पाठ आरती पर शुल्क सुनकर ही लोगों में रोष है. इसको हटाना होगा. तीर्थ पुरोहित जय प्रकाश का कहना है कि पहली बार ऐसा सुन रहे हैं. शुल्क के नाम पर उगाही ठीक नहीं है. पंडा भोनू मिश्रा ने बताया की लॉकडाउन में ऐसी ही कमाई खत्म हो गयी है फिर शुल्क क्या दिया जायेगा.

Prabhat Khabar News Desk
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