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मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बीजेपी कैंडिडेट को हराकर सियासत में किया था आगाज, नगर निकाय की म‍िली कमान

लक्ष्मी नारायण चौधरी को उत्‍तर प्रदेश की व‍िधानसभा का वर‍िष्‍ठ नेता माना जाता है. साथ ही वह उत्‍तर प्रदेश की राजनीत‍ि का एक बड़ा जाट चेहरा भी हैं. लोकदल से अपना स‍ियासी सफर शुरू करने वाले चौधरी लक्ष्‍मी नारायण का राजनीत‍िक जीवन काफी उतार-चढ़ाव पूर्ण रहा है.

Bareilly News: उत्‍तर प्रदेश की राजनीत‍ि (सियासत) में लक्ष्‍मी नारायण चौधरी क‍िसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वह मौजूदा समय में यूपी की योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. उनके पास गन्ना विकास एवं चीनी मिल विभाग हैं. वह छठी बार मंत्री बने हैं. लक्ष्मी नारायण चौधरी को उत्‍तर प्रदेश की व‍िधानसभा का वर‍िष्‍ठ नेता माना जाता है. साथ ही वह उत्‍तर प्रदेश की राजनीत‍ि का एक बड़ा जाट चेहरा भी हैं. लोकदल से अपना स‍ियासी सफर शुरू करने वाले चौधरी लक्ष्‍मी नारायण का राजनीत‍िक जीवन काफी उतार-चढ़ाव पूर्ण रहा है. उन्‍होंने लोकदल से अपना स‍ियासी सफर शुरू क‍िया था.

चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेंगे

इस सफर में वह कांग्रेस, बसपा होते हुए बीजेपी में शाम‍िल हुए हैं. इस बार वह पांचवीं बार व‍िधायक न‍िर्वाच‍ित हुए.कैबिनेट मंत्री लक्ष्‍मी नारायण चौधरी ने 1985 में बीजेपी के क‍िशोरी श्‍याम को हराकर सियासी आगाज क‍िया था. मगर अब वह भाजपा के वफादार सिपाही हैं. इसलिए ही भाजपा ने बरेली नगर निकाय चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया है. उनके साथ भाजपा के कद्दावर नेता प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी सलिल विश्नोई को भी लगाया गया है. सलिल विश्नोई विधानसभा चुनाव 2022 में कानपुर की सीसामऊ से लड़े थे लेकिन चुनाव हार गए. यह दोनों ही पुराने सियासी तजुर्वेकार हैं. बरेली में मेयर की सीट पर भाजपा का कब्जा है. इसी कब्जे को भाजपा ने कायम रखने का जिम्मा दिया है. यह दोनों जल्द ही बरेली पहुंचकर चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेंगे. उनके साथ बरेली के महानगर महामंत्री अधीर सक्सेना को संयोजक बनाया गया है.

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मथुरा में हुआ जन्में 71 वर्षीय चौधरी साहब

लक्ष्मी नारायण चौधरी का जन्म 22 जुलाई 1951 को मथुरा जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम रतिराम चौधरी था. चौधरी लक्ष्मी नारायण ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की.लक्ष्‍मी नारायण चौधरी ने 1985 से अपना स‍ियासी सफर शुरू क‍िया. उन्होंने पहला चुनाव लोकदल के ट‍िकट पर लड़ा और बीजेपी के क‍िशोरी श्‍याम को श‍िकस्‍त दी. इसके बाद लक्ष्‍मी नारायण चौधरी ने 1996 के चुनाव में जीत दर्ज कर चौधरी लक्ष्मी नारायण पहली बार 1996 में उद्यान मंत्री बने.दो बार कारागार मंत्री रहे. तीसरी बार चौधरी 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर मैदान थे और जीत दर्ज कर व‍िधानसभा पहुंचे. इस बार मायावती सरकार में वह कैबि‍नेट मंत्री बनाए गए, लेक‍िन 2012 के चुनाव में वह एक बार फ‍िर बसपा के ट‍िकट पर चुनाव लड़े, लेक‍िन उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा. वह राष्‍ट्रीय लोकदल के उम्‍मीदवार से चुनाव हार गए.

जातिगत समीकरण साधने का प्रयास किया

2015 में बसपा से आएं भाजपा में कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने 2015 में बसपा छोड़ बीजेपी का दामन थामा और 2017 में वह बीजेपी के ट‍िकट पर चौथी बार व‍िधानसभा पहुंंचे. इस चुनाव में उन्‍होंने 63 हजार से अधि‍क मतों के अंतर से जीत दर्ज की और यूपी में योगी आद‍ित्‍यनाथ की सरकार में मंत्री बनाए गए. 2017 में पशु पालन एवं दुग्ध विकास मंत्री बने. 2022 में फिर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. एलएलबी पास लक्ष्मी नारायण चौधरी की पहचान बड़े जाट नेता के रूप में है. भाजपा ने उन्हें दोबारा कैबिनेट मंत्री बनाकर जातिगत समीकरण साधने का प्रयास किया.

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र‍िपोर्ट : मुहम्‍मद साज‍िद

Prabhat Khabar News Desk
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