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इंसानी खून के तस्‍करों ने यूपी के कई जिलों में फैला रखा था जाल, राजस्‍थान से दो साल आ रही थी अवैध सप्‍लाई

यूपी की राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित मिड लाइफ चैरिटेबल ब्लड बैंक में गुरुवार को छापेमारी की गई. यह छापा एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की संयुक्‍त टीम ने किया था. आरोप में पाया गया है कि ब्‍लड बैंक में मानकों के खिलाफ जाकर ब्लड सप्‍लाई की जा रही थी.

Lucknow News: यूपी की राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित मिड लाइफ चैरिटेबल ब्लड बैंक में गुरुवार को छापेमारी की गई. यह छापा एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की संयुक्‍त टीम ने किया था. आरोप में पाया गया है कि ब्‍लड बैंक में मानकों के खिलाफ जाकर ब्लड सप्‍लाई की जा रही थी.

302 यूनिट अवैध ब्लड बैग बरामद

इस संबंध में दी गई आध‍िकार‍िक जानकारी में बताया गया है कि राजस्थान के विभिन्‍न जनपदों से इंसानी खून (पीआरबीसी) को जाली कागजात के जरिये तस्करी कर लखनऊ और आस-पास के जनपदों के कई हॉस्पिटल व ब्लड बैंक बेचा जा रहा था. इस मामले की छानबीन करने पर सरगना सहित 7 सदस्यों को 302 यूनिट ब्लड बैग के साथ एसटीएफ ने अरेस्‍ट किया है.

इनके खिलाफ दर्ज किया गया मुकदमा

  • असद पुत्र हसन रजा निवासी दरगाह चैपटिया, तोप दरवाजा, थाना कोतवाली चैक, लखनऊ (तस्कर)

  • नौशाद अहमद पुत्र सहबजादा अहमद निवासी पकरी टोला, थाना रामकोला, जनपद कुशीनगनर (तस्कर)

  • रोहित पुत्र कृष्ण कुमार निवासी ग्राम पट्टी हमीद, थाना फतेहपुर चैरासी, जनपद उन्नाव (मिडलाइफ का कर्मचारी)

  • करन मिश्र पुत्र सुनील मिश्र निवासी रूकमणीपुरम फैजुल्लागंज मड़ियांव, थाना मड़ियावं, लखनऊ (टेक्नीशियन मिडलाइफ ब्लड बैंक एवं अस्पताल)

  • मो. अम्मार पुत्र मो. नसीर निवासी भदेवा, कोतवाली बाजारखाला, लखनऊ (मिडलाइफ ब्लड बैंक एवं अस्पताल का मालिक)

  • संदीप कुमार निवासी राजीव नगर, कल्याणपुर थाना गुडम्बा, लखनऊ (टेक्नीशियन नारायणी ब्लड बैंक)

  • अजीत दुबे पुत्र सरेंद्र दुबे निवासी शिवम नगर, इंद्रलोक कालोनी, थाना कृष्णानगर, लखनऊ (नारायणी ब्लड बैंक का मालिक)

सेलाइन वाटर मिलाकर करते थे दोगुना

इन आरोप‍ियों के पास से 302 यूनिट रेड ब्लड बैग, लखनऊ के बाराबिरवा स्‍थि‍त नारायणी चैरेटेबिल ब्लड बैंक से 21 कूटरचित पत्र भी बरामद किया गया है. दरअसल, 26 अक्‍टूबर, 2018 और 16 सितंबर, 2021 को यूपी एसटीएफ ने अवैध तरीके से मानव रक्त निकाल कर उसको सेलाइन वाटर की मिलावट से दुगना कर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था. इसके बाद से ही एसटीएफ की टीम ब्लड बैंक के सदस्यों पर नजर बनाये हुए थी. इसी कड़ी में पता चला कि लखनऊ के रहने वाले कुछ लोग बडे़ पैमाने पर दूसरे राज्‍यों से ब्लड तस्करी कर ला रहे हैं. इस तरह की तस्करी जाली पेपर्स की मदद से जरुरतमंदों व एजेंट के माध्यम से की जा रही थी. बुधवार को ही इस बात की जानकारी हुई थी कि राजस्‍थान से लाकर लखनऊ के कई ब्लड बैंकों व हॉस्पिटल में रक्‍त की सप्लाई की जानी है.

मुखबिर ने धीरे से किया इशारा

इस सूचना पर जांच टीम मुखबिर की सूचना पर मिड लाइफ ब्लड बैंक पहुंची. कुछ ही देर में एक स्वीफ्ट डिजायर कार आकर ब्लड बैंक के पास रुकी. मुखबिर ने इशारा कर बताया कि इस गाड़ी में तस्करी कर लाया गया ब्लड है और मुड़कर चला गया. इस पर औषधि विभाग के अधिकारियों के साथ पुलिस की टीम ने कार पवर नजरें ट‍िका दीं. कुछ देर बाद मिड लाइफ ब्लड बैंक से आकर 2 व्यक्ति उस कार में से 2 बॉक्स निकाल कर कार से आये दोनों व्यक्तियों के साथ ब्लड बैंक के अंदर चले गये. इसके लगभग 21.50 बजे चारों व्यक्तियों को हिरासत में ले लिया गया.

न डोनर का नाम न एक्‍सपायरी डेट

तलाशी में ब्लड बैंक के अंदर लाये गये दोनों गत्तों में ब्लड बैग भरे मिले. उस पर मित्रा कंपनी का स्टिकर लगा मिला. मगर डोनर का नाम, कलेक्शन करने वाले का नाम, एक्सपाइरी डेट आदि दर्ज नहीं था. पूछताछ में अभियुक्तों ने राजस्थान से ब्लड लाए जाने की बात कही. पकड़े गये नौशाद और असद की निशानदेही पर उनकी डिजायर कार से एक कार्टून का गत्ता बरामद हुआ जिसके बारे में पूछने पर बताया कि इस मानव ब्लड बैंक में सप्लाई करना है तथा आज ही कुछ देर पहले नारायणी ब्लड बैंक में 2 कार्टून ब्लड बैग दिया गया है. नारायणी ब्लड बैंक में छापेमारी कर अवैध ब्‍लड के पैकेट बरामद किये गए. इस बारे में ब्लड बैंक के मालिक अजीत दूबे व मौजूद टेक्निशियन संदीप कुमार को अभिरक्षा में लेकर उनसे तथा अन्य सभी अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की गयी.

ब्‍लड डोनेशन कैंप के नाम पर फर्जीवाड़ा

पूछताछ में नौशाद ने बताया कि राम चंद्रा इस्टिट्यूट आफ पैरामेडिकल साइंस प्रयागराज से डीएमएलटी की डिग्री प्राप्त कर साल-2018 में अम्बिका ब्लड बैंक जोधपुर में लैब टेक्नीशियन के पद पर वह कुछ महीने तक काम कर चुका है. उसी दौरान वह राजस्थान के कई ब्लड बैंकों के चिकित्सक, टेक्नीनीशियन आदि के सम्पर्क में आ गया. उसे पता चला कि चैरेटेबिल ट्रस्ट से संचालित ब्लड बैंक समय-समय पर ब्लड डोनेशन कैम्प लगाते हैं. एकत्रित ब्लड बैग में अधिकांश की एंट्री ब्लड बैंक के अभिलेखों में न कर उन्हें तस्करों के माध्यम से अधिक कीमत लेकर फर्जी कागज के जर‍िये विभिन्‍न राज्‍यों में बेच दिया जाता है. इसमें भारी मुनाफा होता है. इसी कारण वह भी अवैध ब्लड की तस्करी के व्यवसाय में संलिप्त हो गया.

राजस्‍थान के इन ब्‍लड बैंक से था नाता…

राजस्थान के जयपुर से तुलसी ब्लड बैंक, पिंक सिटी ब्लड बैंक, रेड ड्रॉप ब्लड सेंटर, गुरूकुल ब्लड सेंटर सहित ममता ब्लड बैंक चैमू, दुषात ब्लड बैंक चैमू, मानवता ब्लड बैंक सीकर और शेखावटी ब्लड बैंक चुरू के टेक्नीशियनों के माध्यम से 700-800 रुपये में ब्लड बैग खरीदकर बीते 2 साल से लगातार लखनऊ, बहराइच, उन्नाव, हरदोई, आदि जनपदों के विभिन्न ब्लड बैंकों में सप्‍लाई की जा रही रही थी.

यूपी के इन जिलों में दे रहे थे सप्‍लाई

नौशाद ने बताया कि वह यूनिवर्सल ब्लड बैंक संडिला हरदोई, आभा ब्लड बैंक जनपद फतेहपुर, मां अंजली ब्लड बैंक कानपुर, हसन ब्लड सेंटर बहराइच तथा सिटी चैरेटेबिल ब्लड बैंक उन्नाव में भी इसी प्रकार के ब्लड की सप्लाई देता है. मानव ब्लड बैंक के माल‍िक डॉ. पंकज त्रिपाठी चलाते हैं जो मिडलाइफ ब्लड बैंक में मेडिकल आफिसर भी हैं. संदीप सिंह मानव ब्लड बैंक में भी टेक्नीशियन को तौर पर काम करता है, जिसके द्वारा की गयी डिमाण्ड पर ब्लड बैग की खेप लायी गयी थी.

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