31.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Azadi Ka Amrit Mahotsav:जंग-ए-आजादी में शहीद नज्जू और बुलंद खां ने कबूल नहीं की थी अंग्रेजों की गुलामी…

अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ वर्ष 1857 की क्रांति से पहले ही बिगुल बज गया था, लेकिन रुहेला सरदार नज्जू खां और बुलंद खां ने फौज के साथ अंग्रेजों की सेना को 1857 से पहले ही धूल चटा दी. पढ़ें दोनों क्रांतिकारियों की वीर गाथा...

Bareilly News: रुहेलखंड की सरजमीं से अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ वर्ष 1857 की क्रांति से पहले ही बिगुल बज गया था. जब, रुहेला सरदार नज्जू खां और बुलंद खां ने फौज के साथ अंग्रेजों की सेना को बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में धूल चटा दी. इसमें हजारों अंग्रेज सेना के सैनिक और रुहेला फौज के सिपाही मारे गए थे. अंग्रेज सेना हारने के बाद जान बचाकर भाग निकली.

अंग्रेजों की सेना को धूल चटाने के बाद जब रुहेला सरदार नज्जू खां और बुलंद खां अपनी फौज के साथ फतेहगंज में जश्न मना रहे थे. इसी दौरान धोखे से अंग्रेजों ने सेना के साथ रुहेलाओं पर हमला बोल दिया. रुहेला फौज संभल पाती, इससे पहले ही फौज के तमाम सैनिक शहीद हो चुके थे. नज्जू खां और बुलंद खां को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें अंग्रेजी हुकूमत कुबूल करने या तोप के आगे खड़े होकर मौत की सजा दी गई. इस पर दोनों ने अंग्रेजी हुकूमत को कुबूल करने से मना कर दिया. इसके बाद अंग्रेजों ने तोप के आगे खड़ा कर नज्जू खां और बुलंद खां को उड़ा दिया. इन दोनों शहीदों की कब्र मकबरे में मौजूद हैं.

इसके बाद ही 1857 की क्रांति का आगाज हुआ था. यहां हर बारिश के बाद पानी का रंग भी खून की तरह लाल हो जाता है. मकबरे के आसपास कई बार पुरातत्व विभाग जांच कर खुदाई कराई थी. ब्रिटिश सरकार के समय के पुराने सिक्के मिलने की भी बात सामने आती रही है.

रामपुर स्टेट खत्म करना चाहते थे अंग्रेज

अंग्रेज रामपुर स्टेट को खत्म करना चाहते थे. वर्ष 1788 में अवध नवाब आशिफ उल्ला खां को रामपुर स्टेट खत्म करने या 15 लाख रुपए देने का प्रस्ताव भेजा था. नवाब ने यह राशि देकर अंग्रेजों को शांत कर दिया. मगर, 1794 में रुहेला नवाब आशिफ उल्ला खां का इंतकाल (निधन) हो गया. इसके बाद गुलाम मोहम्मद को रामपुर स्टेट का नया नवाब बनाया गया, लेकिन अंग्रेज रामपुर स्टेट को भी गुलामी के बंधन में बांधने की प्लानिंग में थे.

अंग्रेजों ने रामपुर स्टेट को खत्म करने के लिए अपनी सेना भेज दी. यह जानकारी गुलाम मोहम्मद को लगी. उन्होंने अपनी फौज को भी भेज दिया. रामपुर स्टेट और अंग्रेजों की सेनाओं के बीच बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में जमकर मुकाबला हुआ. रुहेला फौज ने अंग्रेजों के 14 अंग्रेज अफसर और 614 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.

सपा सरकार में हुआ था जीर्णोद्धार

दोनों क्रांतिकारियों की फतेहगंज पश्चिमी में कब्र हैं. यहां एक शहीद स्थल भी बना हुआ है. प्रदेश सरकार की पूर्व सपा सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री मुहम्मद आजम खां ने 88 लाख खर्च कर शहीद स्थल का सौंदयीकारण कराया था.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें