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Gorakhpur: राप्ती में मौजूद गंगा डॉल्फिन के संरक्षण में लगी वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम, जारी किया अलर्ट

Gorakhpur News: गोरखपुर के राप्ती नदी में मौजूद गंगा डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर वन विभाग और चिड़ियाघर प्रशासन की संयुक्त टीम लगी हुई हैं. टीम ने डॉल्फिन को लेकर मछुआरों को जागरूक किया है.

Gorakhpur News: गोरखपुर की राप्ती नदी में गंगा डॉल्फिन दिखने के बाद वन विभाग और चिड़ियाघर की संयुक्त टीम एक्टिव हो गई है. दोनों टीमें इसके संरक्षण की तैयारी कर रही हैं. चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह के अनुसार, अप्रैल-मई में गंगा डॉल्फिन दिखी थी, जिसके बाद से इनके संरक्षण का कार्य थोड़ा धीमे हो गया. लेकिन अब फिर राप्ती नदी का जलस्तर घट रहा है. दोनों विभाग की संयुक्त टीम डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर अब कार्य शुरू करेंगी.

गंगा डॉल्फिन को प्राप्त है राज्य जलीय जीव का दर्जा

डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि, इसके लिए जलीय वन्य जीवों का संरक्षण करने वाली संस्था टर्टल सर्वाइवल एलाइंस से संपर्क भी साधा गया है. दरअसल, गंगा डॉल्फिन को राज्य जलीय जीव का दर्जा प्राप्त है. विशेषज्ञों के अनुसार, बीते 5 वर्षों में इसकी संख्या में निरंतर कमी देखने को मिली है. जिसको लेकर सरकार चिंतित है. यही वजह है कि नमामि गंगे अभियान में डॉल्फिन के संरक्षण को अलग से स्थान दिया गया है.

डॉल्फिन दिखने पर मछुआरों को किया जागरूक

राप्ती नदी में डॉल्फिन होने की जानकारी मिलने पर चिड़ियाघर के निदेशक डॉक्टर राजामोहन व पशु चिकित्सक डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में बताए गए स्थान पर राजघाट पर पर्यवेक्षक टीम ने दौरा किया. तीन घंटे परीक्षण के दौरान उन्होंने नदी में डॉल्फिन को अठखेली करते देखा. जिसके बाद टीम ने संरक्षण के लिए टीएसए से संपर्क साधा और इसके संरक्षण के लिए वहां मछुआरों को जागरूक भी किया, जिससे उनकी वजह से डॉल्फिन को नुकसान ना पहुंचे.

वन विभाग और चिड़ियाघर प्रशासन की संयुक्त टीम ने मछुआरों को जागरूक करते हुए कहा कि, मछली मारते समय अगर उनके जाल में डॉल्फिन मछलियां आ जाती हैं, तो वह उन्हें नुकसान न पहुंचाएं. साथ ही कहा कि, अगर कोई डॉल्फिन मछली चोटिल व घायल अवस्था में मिलती है तो उसकी जानकारी तत्काल चिड़ियाघर प्रशासन को दें, जिससे उसका इलाज हो सके.

डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि, गंगा डॉल्फिन की गिनती इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के रिकॉर्ड में विलुप्त प्राय जीवों में होती है. इनकी संख्या कम होते देख वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 में इन्हें शिड्यूल 1 में रखा गया है. जिसमें शेर, बाघ ,तेंदुआ जैसे सर्वाधिक दुर्लभ प्राणी को रखा गया है.

वहीं उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, राप्ती नदी में गंगा डॉल्फिन के होने की पुष्टि के बाद वन विभाग की टीम अब उन्हें संरक्षण के लिए संयुक्त रूप से लगी हुई है.

रिपोर्टर – कुमार प्रदीप, गोरखपुर

Prabhat Khabar News Desk
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