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Eid-ul-Fitr 2022: ईद से पहले गरीबों के लिए करना न भूलें ये काम, तभी कुबूल होगी नमाज…

देशभर के रोजदार ईद की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन ईद की नमाज से पहले अपना और अपने बच्चों का सदका-ए-फित्र गरीबों को देना न भूलें. क्योंकि, ईद की नमाज से पहले सदका-ए-फित्र देना जरूरी होता है. इसके बाद ही नमाज अदा होगी.

Bareilly News: रमजान का पाक महीना खत्म होने वाला है. रोजदार ईद की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन ईद की नमाज से पहले अपना और अपने बच्चों का सदका-ए-फित्र गरीबों को जरूर दे दें. क्योंकि, ईद की नमाज से पहले सदका-ए-फित्र देना जरूरी होता है. इसके बाद ही नमाज अदा होगी.

ईद-उल-फितर (ईद) का चांद रविवार या सोमवार तक होना तय है. दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने भी मुसलमानों से अपील की है कि जिन मुसलमानों पर सदका-ए-फ़ित्र वाजिब और जकात फर्ज है. वह लोग इसकी रकम ईद से पहले गरीबों तक पहुंचा दें, ताकि गरीब मुसलमान भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें. सज्जादानशीन ने कहा कि अल्लाह ने सभी मालदार मुसलमानों पर सदक़ा ए फित्र वाजिब और ज़कात को फ़र्ज़ किया है.

हक़दारों तक पहुंचा दें सदका-ए-फित्र की रकम

शरीयत ने मुसलमानों को हुक़्म दिया कि जो साहिबे निसाब (शरई मालदार) मुसलमान है, वो सदक़ा-ए-फ़ित्र की रकम अपनी और अपने नाबालिग बच्चों कि तरफ से निकाल दें. सदक़ा ए फित्र वाजिब होने के लिए रोज़ा रखना शर्त नहीं. अगर, किसी बीमारी, सफर या किसी अन्य वजह से रोज़ा न रख सकें, तब भी वाजिब है. ईद की नमाज़ से पहले जो इसके शरई हक़दार हैं, उन तक ये रकम पहुंचा दें. अधिकतर लोग सदक़ा-ए-फ़ित्र ईद की नमाज़ से पहले अदा करते है, लेकिन पहले भी अदा कर सकते हैं.

जकात मुसलमानों पर फर्ज

मुसलमानों पर जकात अल्लाह ने फर्ज की, वहीं सदका ए फ़ित्र वाजिब है. अमूमन लोग सदका ए फ़ित्र को ज़कात समझ लेते है,जबकि ये दोनों अलग अलग है. मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया की नमाजों के बाद मस्जिदों के इमाम ज़कात व फ़ित्रा पर रोशनी डालकर मुसलमानों को बता रहे हैं.

बरेली के मुसलमान दें 60 रुपये सदका-ए-फित्र

ज़कात कुल माल पर 2.5% अदा करनी है, वहीं सदक़ा ए फ़ित्र 2 किलो 47 ग्राम गेहूं या 4 किलो 94 ग्राम जौ, खजूर और मुनक्का या इसकी बाजार मूल्य की कीमत गरीब, बेवा, बेसहारा, यतीमों या मदरसों के तल्बा को अदा करनी है. गेहूं और जौ के दानों से अफ़ज़ल है उनका आटा देना और उससे अफ़ज़ल ये है की उसकी कीमत अदा कर दें. इस वक़्त बरेली में अच्छी क्वालिटी के 2 किलो 47 ग्राम आटे की कीमत लगभग 56-57 रुपए है, इसकी कीमत अधिक करके तो दे सकते हैं, अफ़ज़ल है, लेकिन कम नही होनी चाहिए.

अपनी हैसियत के मुताबिक कीमत अदा करें

अवाम की आसानी के लिए इसकी कीमत तय कर दी गयी है. बरेली में इसकी कीमत 60 रुपए तय की गई है. इसमें चाहे जितना बढ़ाकर दे सकते है, हां अगर तय बजन से कम अनाज या रकम दी, तो सदका ए फ़ित्र अदा न होगा. देश के बाकी शहरों के लोग अपने यहां गेहूं, जौ, खजूर या मुनक्का के वजन की कीमत मालूम कर अपनी हैसियत के मुताबिक अदा करें.

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रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद

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